लता मंगेशकर की आवाज़ ने दुनिया भर के लोगों के दिलों में अपना घर बनाया था। लता जी के जीवन पर आधारित, भारत में राष्ट्रीय पुरस्कार 'स्वर्ण कमल' से सम्मानित पुस्तक 'लता सुर-गाथा' के लेखक यतीन्द्र मिश्र ने SBS हिंदी से सुर साम्राज्ञी के जीवन से संबंधित ऐसे किस्से साझा किये जो कम ही सुने गए।
बीती 6 फरवरी को भारत की स्वर-कोकिला कही जाने वाली लता मंगेशकर दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह गयीं। अपने गायन-काल में उन्होंने लगभग 30,000 गीतों को आवाज़ दी।
यतीन्द्र मिश्र ने सात साल तक लगभग हर दिन लता जी से फ़ोन पर बात कर उनके अनुभवों को 'लता सुर-गाथा' नाम की पुस्तक में पिरोया।
यतीन्द्र बताते हैं कि जीवन के इस पड़ाव पर भी एक दिन ऐसा नहीं था जब लता जी ईश्वर, अपने गुरुजन और अपने माता-पिता की तस्वीर को प्रणाम न करती हों।
वे जितनी सख़्त अपने रियाज़ और सुर के मामले में थीं, जीवन में उतनी ही सरल, उतनी ही विनम्र थीं। यतीन्द्र बताते हैं कि एक बार लंदन में लता जी का पांच दिवसीय कॉन्सर्ट था। कॉन्सर्ट का पहला दिन शानदार रहा।
लता जी ने मान लिया कि यह सारा असर उन्होंने जो साड़ी पहनी थी, उसका था। फिर क्या था, अगले हर कॉन्सर्ट के दिन, वे उस ही साड़ी को धुलवाती, और पहनतीं।
यतीन्द्र कहते हैं यह उनकी विनम्रता ही थी कि वे सुर की तैयारी को तो अपना मानती थीं, लेकिन उससे मिलने वाली सफलता को ईश्वर का आशीर्वाद समझती थीं।
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