साउथ ऑस्ट्रेलिया इन दिनों पूरी तरह से फ्लू के चपेट में है. आकड़े बता रहे हैं कि पिछले कुछ सालों की तुलना में इस बार फ्लू से कई गुना लोग पीड़ित हैं. सोमवार तक के ही आंकड़ों की बात करें तो साउथ ऑस्ट्रेलिया में करीब 12 हज़ार 339 फ्लू के मामले सामने आ चुके हैं. पिछले साल इस वक्त तक ये आंकड़ा 1 हज़ार 348 था. चिंता की बात ये ही कि फ्लू के कारण अब तक 17 जान भी जा चुकी हैं. जिनमें 13 एज्ड केयर में रहने वाले लोग थे. जिनमें से 5 तो एक ही केंद्र में सामने आए हैं.
साउथ ऑस्ट्रेलिया के चीफ मेडिकल ऑफीसर प्रोफेसर पैडी फिलिप ने एबीसी को बताया कि इस साल के शुरूआत से अब तक नर्सिंग होम्स में करीब 53 आउटब्रेक सामने आए हैं। हालात ये हैं कि राज्य के 18 नर्सिंग होम आगंतुकों के लिए बंद कर दिए गए हैं.
साउथ ऑस्ट्रेलिया में इन हालातों को क्या रोका जा सकता था और अब क्या कुछ किया जा सकता है इसके लिए हमने बात की स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकीय सलाहकार डॉक्टर दीपक राय से.
दीपक बताते हैं कि फ्लू का ख़तरा हर साल रहता है. और हर दो तीन साल में ये पैटर्न होता है कि ये काफी खतरनाक तौर पर फैलता है. वो कहते हैं कि ज्यादातर वायरल का इलाज नहीं होता. इसलिए इसको नियंत्रित करने में परेशानी आती है.
फ्लू के अचानक बढ़े आंकड़ों पर प्रशासन की तैयारियों पर दीपक कहते हैं कि सरकार इस बारे में हर सीज़न में तैयार रहती है. लेकिन फ्लू के मामले में कई सारी चीज़ें नियंत्रण से बाहर होती हैं. दीपक बताते हैं कि हर साल वायरस कुछ नया होता है तो वैक्सीन से भी पूरी तरह सुरक्षा असंभव है. लोगों को भी अपना सहयोग देना चाहिए.

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हालांकि डॉक्टर राय मानते हैं कि इतने मामले सामने आने के बाद भी प्रशासनिक तौर पर बहुत कुछ नहीं किया जा सकता. लेकिन वो मानते हैं कि कहीं कुछ किया जा सकता है तो वो है शोध का क्षेत्र जहां वैक्सीन्स को ज्यादा कारगर बनाने की ओर काम किया जा सकता है.
दूसरी ओर वेस्टमीड मेडिकल सेंटर से डॉक्टर मनमीत मदान फ्लू के लक्षणों के बारे में बताते हैं कि आम तौर पर ये छोटे बच्चों में ज्यादातर होता है क्योंकि बच्चे चाइल्ड केयर या स्कूल में दूसरे बच्चों के संपर्क में होते हैं और आसानी से संक्रमित हो जाते हैं. इसके लक्षणों में खांसी, सर्दी बुखार, सांस की तकलीफ, कान में संक्रमण या टॉन्सिलाइटिस.
डॉक्टर मदान बताते हैं कि फ्लू से बचने का केवल एक ही तरीका है वो वेक्सिनेशन ही है. वो कहते हैं कि वैक्सीन के बाद भी लोग पूरी तरह सुरक्षित नहीं हो सकते. क्योंकि कई सौ वायरस ऐसे हैं जिनका कोई वैक्सीन नहीं हैं. हालांकि ये वायरस परेशान नहीं करते लेकिन इनका संक्रमण बहुत तेज़ी से फैलता है.

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डॉक्टर मदान बता रहे हैं कि वो कौन सी परिस्थितियां होती हैं जिनमें से फ्लू जानलेवा साबित होते हैं. वो कहते हैं कि ज्यादातर फ्लू जानलेवा नहीं होते लेकिन बहुत छोटे बच्चों या बहुत वृद्ध लोगों के अलावा उन लोगों में जिनको कि पहले ही डायबिटीज़ दिल की बीमारी या किडनी की बीमारी होती है उनके लिए ये कभी भी खतरनाक साबित हो सकता है.
अब जानिए कि फ्लू से बचने के एहतियाती कदम क्या हैं और बीमार होते ही हमें क्या कदम उठाने चाहिए. डॉक्टर मदान कहते हैं कि बीमारी होते ही जल्द से जल्द डॉक्टर के पास जाएं. वो कहते हैं कि कुछ दवाइयां ऐसी हैं जो जितनी जल्द ली जाएं उतनी कारगर साबित होती हैं.