सबसे पहले मिलिए एज़म्पटा से.. उनकी कहानी हम बताएंगे आपको लेकिन पहले हम बता दें कि एजम्पटा बुधवार 3 अप्रैल और 10 अप्रैल को एसबीएस पर प्रसारित एक कार्यक्रम 'क्रिस्टियन लाइक अस' में शामिल हो रही हैं. ये साल 2018 में प्रसारित कार्यक्रम 'मुस्लिम्स लाइक अस' की तरह ही होगा. जिसे काफी सराहा गया था.
आइये मिलते हैं एज़म्पटा से. एज़म्पटा बताती हैं कि वो एक दक्षिण भारत के एक परंपरागत हिंदू ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती हैं. धार्मिक मान्यताओं को लेकर वो हिंदू धर्म से जुड़ी रहीं. लेकिन जब वो महज़ 16 साल की थीं तभी उनकी ज़िंदगी में एक बड़ी घटना घटी उनके पिता की महज़ 45 साल की आयु में हृदय गति रुक जाने की वजह से मौत हो गई. परिवार के साथ-साथ एज़म्पटा की जीवन में भी ये किसी भूचाल से कम नहीं था. एज़म्पटा का विचलित युवा मन किसी आत्मिक सहारे की तलाश में था.
एज़म्पटा कहती हैं उन्होंने अपने सवालों का हल जानने के लिए हिंदू धर्म ग्रथों का रुख किया.. इस बीच वो बाकी धर्म ग्रंथों का अध्ययन भी कर रहीं थीं.. वो बताती हैं कि वो जीसस से काफी प्रभावित हुई. उन्हें अपने लिए कोई फैसला लेना था उन्हें पता था कि ऐसा करके वो अपने परिवार को दुखी करेंगी. लेकिन उन्होंने फैसला लिया और 23 साल की उम्र में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया.
जब हमने उनसे सवाल किया कि आखिर क्यों उन्हें हिंदू धर्म ग्रंथों में वो सुकून मिल पाया या फिर उनकी समस्याओं का हल मिल पाया. वो कहती हैं कि यहां बात धर्म की गलतियों की नहीं बल्कि उनके सवालों के जवाब की थी. वो कहती हैं कि उनके पिता की मौत ने उन्हें ज़िंदगी की सच्चाई ढ़ूंढने के लिए प्रेरित किया. और उस वक्त वो ईश्वर से अपना रिश्ता ढ़ूंढना चाहतीं थी.
हालांकि एज़म्पटा शादी से पहले यौन संबंधों को सही नहीं मानती. इस मान्यता को भारतीय संस्कृति और हिंदुत्व से जोड़ते हुए इसे वो एक खूबसूरत बात बताती हैं. एज़म्पटा गर्भपात और समलैंगिक विवाह के भी ख़िलाफ़ हैं. हालांकि वो अब अपने आप को संतुष्ट पाती हैं.