हर पांचवां इंसान मानता है, औरतें कमतर होती हैं: सर्वे

एक सर्वे के मताबिक दुनिया में 20 फीसदी लोग मानते हैं कि औरतें मर्दों से कमतर होती हैं और उन्हें घर के अंदर ही रहना चाहिए.

Women

Demonstrators take part in a march demanding women's rights during a protest marking International Women's Day in Madrid, Spain, Wednesday, March 8, 2017. Source: AAP Image/AP Photo/Daniel Ochoa de Olza

एक सर्वे के मताबिक दुनिया में 20 फीसदी लोग मानते हैं कि औरतें मर्दों से कमतर होती हैं और उन्हें घर के अंदर ही रहना चाहिए. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किये गए इस सर्वे से पता चला कि ये 20 प्रतिशत लोग मानते हैं कि स्कूलों और दफ्तरों में पुरुष की क्षमता ज्यादा होती है और वे बेहतर काम करते हैं. ऐसा मानने वालों में ज्यादातर चीन, रूस और भारत के लोग हैं.

अंतराष्ट्रीय महिला दिवस पर जारी किये गए इस सर्वे में शामिल 17 हजार 550 लोगों में से लगभग सभी इस बात पर सहमत थे औरतों और मर्दों को बराबर हक मिलने चाहिए लेकिन तीन चौथाई लोगों ने माना कि आज भी औरतों को सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक क्षेत्रों में भेदभाव का सामना करना पड़ता है.

सर्वेक्षण संस्था इप्सोस मोरी (Ipsos MORI) ने 24 देशों में हजारों लोगों से बात की. इनमें ब्राजील, कनाडा, रूस, ब्रिटेन, भारत और स्वीडन शामिल हैं. सर्वे में आधे से ज्यादा लोगों ने खुद को फेमिनिस्ट कहा जबकि एक चौथाई लोगों ने कहा कि उन्हें महिलाओं के अधिकारों के लिए बोलते हुए डर लगता है.

इप्सोस मोरी की डायरेक्टर कुली कौर-बालागन कहती हैं, "यह तो खुशी की बात है कि बहुत बड़ी संख्या में लोग मानते हैं कि दुनिया में औरतों और मर्दों के बीच बराबरी होनी चाहिए. लेकिन ऐसे लोग भी कम नहीं हैं जो कहते हैं कि अभी बराबरी नहीं आई है."

भारत, चीन और रूस में जिन लोगों से सर्वे के दौरान बात की गई उनमें से लगभग आधे लोगों ने कहा कि पुरुष बेहतर होते हैं. इन लोगों ने कहा कि पुरुष पैसा कमाने में महिलाओं से बेहतर होते हैं और वे पढ़ने में भी लड़कियों से ज्यादा अच्छे होते हैं.

पूरी दुनिया इस बात को लेकर चिंतित है कि महिलाओं को मिलने वाली सैलरी को पुरुषों के बराबर कैसे लाया जाए. यूएन विमिन के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पुरुषों और महिलाओं की कमाई के बीच 24 फीसदी का अंतर है. 2016 में वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम ने एक रिपोर्ट में कहा था कि महिलाओं और पुरुषों को आर्थिक समानता हासिल करने में 170 साल लगेंगे.

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By विवेक आसरी

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