हर साल की तरह इस साल भी ऑस्ट्रेलियाई लोग क्रिसमस पर परिवार और दोस्तों के साथ इकट्ठा हो रहे हैं मगर वहीं नवीनतम कोविड-19 की लहर अपने चरम पर पहुंच रही है.
कोविड-19 की जांच करने के कई तरीके हैं और इनमें से रैट टेस्ट सबसे ज़्यादा प्रचलित हैं। रैट टेस्ट का परिणाम कितना सटीक है, ये बात आजकल एक चर्चा का विषय बना हुआ है।
कोविड-19 एक बहुत ही अलग वायरस है और यह पहली बार ऑस्ट्रेलिया में लगभग ढाई साल पहले पाया गया था.
इसके परीक्षण के तरीकों में भी प्रगति हुई है.

Positive COVID-19 self-tests Source: Moment RF / mrs/Getty Images
विश्लेषण में पाया गया कि सभी मूल कोविड वायरस के साथ साथ डेल्टा और ओमिक्रॉन स्ट्रेन को पकड़ने में सक्षम थे.
प्रत्येक कोविड वेरिएंट एक चिंता का विषय है, और रैट टेस्ट के विनिर्माता से अपेक्षा की जाती है की यह सत्यापित करने के लिए वह विश्लेषण करे कि उनके बनाये गए परीक्षण किट कोविड की जाँच करने में कितने सक्षम हो पा रहे है.
एक अतिरिक्त उपाय के रूप में, टी जी ए ने विनिमार्ता के दावों को सत्यापित करने के लिए प्रयोगशाला भी शुरू की है।

Healthcare professional is working in a lab during COVID-19. (Representative image) Credit: Morsa Images/Getty Images
इस प्रयोगशाला में यह भी देखा जाता है कि क्या रैट टेस्ट विश्व स्वास्थ्य संगठन की न्यूनतम संवेदनशीलता आवश्यकताओं को पूरा करते हैं।
डीकिन यूनिवर्सिटी की प्रोफेसर और महामारी विज्ञान की अध्यक्ष, प्रोफेसर कैथरीन बेनेट ने कहा कि रैट टेस्ट किट कोविड -19 मामलों की पहचान करने का एक भरोसेमंद तरीका नहीं है। हलाकि उन्होंने ये भी कहा की इस विश्लेषण में प्रयोग किये गए रैट किट सभी ज़रूरी बातों को टिक कर रहे थे जो एक आशाजनक बात है..
उन्होंने कहा कि शोध में पाया गया था कि डब्ल्यूएचओ की पता लगाने की दर की न्यूनतम सीमा 70 से 80 प्रतिशत मामलों की सही पहचान थी।
"अभी भी परीक्षण किट के गलत परिणाम पाए जाने की संभावना है," प्रोफेसर बेनेट ने कहा।
प्रोफ़ेसर बेनेट ने पहले एक बार कहा था कि रैट टेस्ट किट के परिणामों की सटीकता में और गिरावट आई है। इसके पीछे कुछ अन्य कारण भी हो सकते है - जैसे कि क्या किसी व्यक्ति ने परीक्षण के निर्देशों का ठीक से पालन किया या क्या इस सेल्फ टेस्टिंग किट को सही तरीके से संग्रहीत किया गया है.
जबकि उन्होंने लोगों को एक संकेतक के रूप में परीक्षणों का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया और सुझाव दिया कि यदि पहला परिणाम नकारात्मक आये तो दूसरा परीक्षण करें। नकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के एक दिन बाद लक्षण बने रहने पर लोगों को अगले दिन फिर से परीक्षण करना चाहिए।
उनका कहना है कि लक्षणों की तरफ ध्यान देना ज़्यादा ज़रूरी है. प्रोफ़ेसर बेनेट ने यह भी बताया कि ओमिक्रॉन वैरिएंट से जुड़ा वायरस अक्सर गले की खराश के रूप में प्रदर्शित होता है. इसी के चलते नाक से लिए स्वैब के मुक़ाबले सलाइवा के स्वाब से इसकी पहचान करने की संभावना बढ़ सकती है.