फ़िल्म एतिहासिक युद्ध सारागढ़ी की लड़ाई पर आधारित है. ये घटना साल 1897 की है.. जहां ब्रिटिश सेना के 36 सिख रेज़ीमेंट के महज़ 21 जवानों ने करीब 10 हज़ार अफ़गान सैनिकों से युद्ध लड़ा था.
राम सिंह जिनका असल नाम राजदीप सिंह धालीवाल है. खालसा कॉलेज पटियाला में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं. पोस्ट ग्रेजुएट डिपार्टमेंट ऑफ एग्रीकल्चर के हेड राजदीप बताते हैं कि बचपन से रंगमंच और अभिनय उनका पहला प्यार रहा है. उनके बहुत से दोस्त पंजाबी फ़िल्मों या फिर बॉलीवुड में हैं. लेकिन समय की रफ्तार में बहते बहते वो कभी उस रास्ते पर चल ना सके जिससे उन्हें बेपनाह मोहब्बत थी.
अब आपके मन में भी सवाल होगा कि फिर ऐसा क्या हुआ जो राजदीप सिपाही राम सिंह बन गए? जज़्बातों और संयोग की इस कहानी को बताते हुए राजदीप कहते हैं कि वो अक्सर अपने बेटे को अपने उन दोस्तों की कहानियां सुनाया करते या फिर उन्हें किसी फ़िल्म में दिखाया करते थे जो उनके साथ कभी पढ़ते थे, थियेटर किया करते थे.

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एक रोज़ राजदीप के बेटे युवराज ने उनसे कहा कि क्यों नहीं आप भी कोशिश करते. क्या आप फ़िल्मों में नहीं आ सकते? बस ये ही बात राजदीप के दिल में घर कर गई. उन्होंने कोशिशें शुरू की और उन्हें अपने दोस्तों से पता चला कि केसरी फ़िल्म के लिए ऑडीसन हो रहे हैं. बस फिर क्या था. ऑडीशन हुआ और राजदीप को ये फ़िल्म मिल गई.
अब हमने राजदीप से उनके किरदार के बारे में जानना चाहा. राजदीप बताते हैं कि राम सिंह सारागढ़ी किले में तौनात एक सिपाही है और जाहिर तौर पर ये एक जोशीला किरदार है जिसकी साहिब सिंह से बहुत नज़दीकी है. राजदीप बताते हैं कि अक्षय कुमार जैसे बड़े सितारे के फ़िल्म में होने के बावजूद डायरेक्टर अनुराग सिंह ने हर किरदार को बड़ी खूबी तरजीह देते हुए से लोगों के सामने रखा है.
वो बताते हैं कि इस फ़िल्म के लिए डायरेक्टर अनुराग सिंह ने काफी मेहनत की. वो कहते हैं कि वर्कशॉप के दौरान सभी कलाकारों के साथ रहते हुए उनकी इस तरह की नज़दीकी और सामंजस्य हो गया था कि वो फ़िल्म में भी खूब छलककर सामने आया.

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आप में से कई इस फ़िल्म को देख चुके होंगे. कई देखने का मन बना रहे होंगे.. ज़ाहिर है फ़िल्म की कहानी तो आप जान ही लेंगे लेकिन राजदीप से हमने जानना चाहा कि फ़िल्म की शूटिंग के दौरान आखिर क्या क्या हुआ इस पर उनका कहना था कि अक्षय कुमार बेहद की प्रोफेशनल कलाकार हैं लेकिन वो साथ ही अपने साथी कलाकारों को बहुत सहज रखते हैं. वो बताते हैं कि इसी कड़ी में फिल्म में कुछ ऐसे सीन और डायलॉग भी हैं जो शूटिंग के दौरान की फ़िल्म में आ गए.
जब हमने राजदीप से सवाल किया कि युद्ध पर आधारित इस भारीभरकम फ़िल्म की शूटिंग क्या थका देने वाली थी. तो राजदीप ने बताया कि वर्कशॉप के दौरान उन्हें कई तरीकों की तालीम दी गई थी.

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पहले फ़िल्म मिलने और अब फ़िल्म की सफलता से राजदीप बेहद खुश हैं वो कहते हैं कि उनको जानने वाले कॉमेडी में उनकी टाइमिंग के क़ायल हैं और अब राजदीप भी चाहते हैं कि अगर फ़िल्म में उन्हें कुछ इसी तरह के किरदार मिलते हैं तो वो ज़रूर दर्शकों को अपनी कॉमेडी से गुदगुदाना चाहेंगे.