कुछ महीने पहले ही ऑस्ट्रेलिया सरकार ने देश को रूबेला जैसी संक्रामक बीमारी से मुक्त घोषित किया था. लेकिन पिछले दिनों सामने आए रूबेला के मामलों को देखते हुए लगता है कि अभी ये कहा नहीं जा सकता. इस साल की बात करें तो अब तक देश भर में प्रशासन के सामने 13 मामले आए हैं. और न्यू साउथ वेल्स के स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े बताते हैं कि इनमें से 7 मामले केवल इसी राज्य में सामने आए हैं. इस बीमारी को जर्मन मीज़ल्स भी कहा जाता है.
हालांकि साल 2018 में ही वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन ने ऑस्ट्रेलिया से इस बीमारी को खत्म मान लिया था. इसके बारे में सिडनी के वेस्टमीड मेडिकल सेंटर के डॉक्टर मनमीत मदान बताते हैं कि रुबेला ऑस्ट्रेलिया में 90 के दशक में काफी आम बीमारी थी. लेकिन साल 1993 में टीकाकरण की शुरूआत के बाद इसकी संख्या में आश्चर्यजनक तौर पर गिरावट आई. वो कहते हैं आज ये स्थिति है कि पिछले साल ही वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइज़ेशन ने ऑस्ट्रेलिया को रूबेला मुक्त घोषित कर दिया था.

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न्यू साउथ वेल्स स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि ताज़ा मामलों के पीछे इस क्षेत्र में रूबेला के कई मामलों का सामने आना है. मसलन जापान में ही इस साल करीब 11 सौ मामले सामने आए हैं. हालांकि ये भी माना जा रहा है कि अगर और गहनता से टेस्ट किए जाएं तो ऑस्ट्रेलिया में इस बीमारी का मौजूदा आंकड़ा और बढ़ सकता है.
क्या है ये बीमारी और कैसे इससे दूर रहा जा सकता है इस बारे में हमने बात की डॉक्टर मनमीत मदान से. डॉक्टर मदान बताते हैं कि दूसरे वायरल इन्फैक्शन की तरह शुरू में इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते. रुबेला में तो हफ्ते गुज़र जाने के बाद तक भी पता नहीं चलता. डॉक्टर मदान बताते हैं कि वैसे तो फिलहाल इसके बारे में ज्यादा चिंता की ज़रूरत नहीं है लेकिन अगर किसी गर्भवती महिला को रूबेला हो जाता है तो स्थिति चिंताजनक हो सकती है.
ज्यादा थकान, त्वचा का लाल होना, बुखार, हल्की खांसी, जैसे आम वायरल के लक्षण इस बीमारी में भी होते हैं तो बेहतर ये होगा कि आप कुछ ऐसे लक्षण दिखाई देने पर डॉक्टर की सलाह लें.