फिलीपीनी मूल के टूरिस्ट टेरी परेजा अब अस्पताल में हैं. और उनकी हालत गंभीर है. हो सकता है उनकी एक बांह भी काटनी पड़े.
परेजा बरचिप में अपने एक रिश्तेदार से मिलने आए थे. उन्हें फरवरी के आखिरी हफ्ते में कभी मकड़ी ने काटा था लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया. इस कारण इलाज शुरू होने में देर हुई.
उनके रिश्तेदारों ने बताया कि जिस दिन परेजा स्थानीय डॉक्टर के पास पहुंचे, उनका पांव सूज कर काला हो चुका था. उन्हें फौरन होरशम अस्पताल ले जाया गया जहां उसी वक्त उनकी दायीं टांग को काट दिया गया. बाद में उन्हें विमान से मेलबर्न लाया गया. ज हां उनकी बायीं टांग को भी काटना पड़ा.
एक फंड रेजिंग ऑनलाइन पेज पर परेजा की बेटी जेफमैरी परेजा ने लिखा है, "डॉक्टरों को लगता है कि उन्हें सफेद पूंछ वाली मकड़ी ने काटा है." लेकिन विशेषज्ञ को संदेह है कि ये लक्षण वाइट-टेल्ड स्पाइडर के काटने के हैं.
परेजा के बहनोई बताते हैं कि शुरुआत में सर्दी खांसी के लक्षण नजर आए थे लेकिन वीकेंड बीतते बीतते हालत खराब हो गई. उन्हें 3एडब्ल्यू को बताया, "शनिवार को वह चल भी नहीं पा रहे थे. और रविवार को उनकी टांग काली पड़ने लगी. शनिवार-रविवार को बरचिप में कोई डॉक्टर उपलब्ध नहीं होता इसलिए हमें सोमवार तक इंतजार करना पड़ा."
हालांकि इस बारे में संदेह है कि परेजा को वाइट टेल्ड स्पाइडर ने ही काटा होगा.2003 में इस बारे में मेडिकल जर्नल ऑफ ऑस्ट्रेलिया में एक स्टडी छपी थी. इस स्टडी में वाइट-टेल्ड स्पाइडर के काटे 130 मरीजों पर रिसर्च की गई और किसी में भी वाइट-टेल्ड स्पाइडर के काटने से नेक्रोटाइजिंग आर्कनिडिजम के लक्षण नहीं मिले. नेक्रोटाइजिंग आर्कनिडिजम वैसे ही लक्षण होते हैं जैसे परेजा में दिखे.
इस स्टडी के मुख्य लेखक जेफ इसबिस्टर ने कहा कि ऐसे मामले बहुत भावनात्मक होते हैं और मरीजों को यह जानना अच्छा नहीं लगता कि उन्हें जिसने काटा, वह कोई मकड़ी नहीं थी. जेफ ने बताया, "होता यूं है कि लोगों को ऐसी स्थिति अच्छी नहीं लगती जब वे कहें कि पता नहीं क्या हुआ. इसके बजाय वे किसी को, जैसे कि किसी मकड़ी को जिम्मेदार ठहराना ज्यादा अच्छा समझते हैं."
यूनिवर्सिटी ऑफ न्यू कासल के रिसर्चर्स भी कह चुके हैं कि किसी भी मामले को मकड़ी के काटने का मान लेने से पहले डॉक्टरों को पूरी छानबीन करनी चाहिए. 2004 में ब्रिटेन के मेडिकल जर्नल द लांसेट में एक लेख में जेफ इसबिस्टर ने लिखा था, "मेडिकल कम्यूनिटी भी नेक्रोटिक आर्कनिडिजम के भ्रम से अछूती नहीं है. वे लोग इन लक्षणों की दूसरे मामलों की तरह पूरी छानबीन नहीं करते और अक्सर भ्रम को फैलाने में उनका भी योगदान है."