ऑस्ट्रेलिया में रह रही मुस्लिम महिलाओं के लिये अपनी धार्मिक आस्था और फैशन को एक साथ लेकर चलना कभी भी आसान नहीं रहा है.
हिजाब हाउस, ऑस्ट्रेलिया में नशुरू हुई सबसे पहली ऐसी दुकानों में से एक है जो मुस्लिम महिलाओं की आधुनिक पहनावे की जरूरत को पूरा करने की कोशिश कर रहा है.
इस दूकान के मालिक Tarik Houchar के लिये ईद सबसे व्यस्त समय है -"It's chaotic. We have had people fight over the clothes."
ईद के आसपास लगभग एक लाख डॉलर के कपडे खरीदे बिकेंगे जो महिने के अंत में रमजान मनाने के लिये पहने जाएंगे - "It's just a really crazy sale and if you think about Boxing Day sales, it is about double that intensity."
Tarik बताते हैं की उन्हें इस दूकान को खोलने का विचार अपनी बहन के साथ खरीददारी करते समय आया - "There was literally nothing available for her, the colours weren't matched to her preferences - it was all black."
पेशे से कपड़ों के डिज़ाइनर तारिक को यह बात नहीं जमी की मुस्लिम महिलाओं की पोशाकों में बहुत सिमित विकल्प उपलब्ध हैं.
सो उन्होंने हिजाब हाउस के द्वारा मुस्लिम महिलाओं को भी आधुनिक फैशन का लाभ और आनद उठाने का जिम्मा ले लिया.
और आज उनके सभी ग्राहक इस बात से बेहद कुश हैं की तारिक ने यह बेडा उठाया - "It was just very plain colours but now because of the stylists and stuff and the younger generation involved as well, it is just beautiful stuff."
२०११ में सबसे पहले दूकान शुरू कर तारिक को बाढ़थे खर्च के कारण मात्र दो वर्षों के भीतर ही हिजाब हाउस पर टाला लगाना पड़ा - "Once we closed the stores, a lot of the customers realised how important Hijab House was to the community and how valued our products were."
उसके दो वर्ष बाद फिर एक बार हिजाब हाउस खुला एक नयी योजना के साथ जिसके जराए हर वर्ष लगभग एक लाख हिजाबों की बिक्री में सफलता मिली.
प्रति हिजाब पर ३०० प्रतिशत अधिक मूल्य निर्धारित कर तारिक को लगभग आधे मिलियन डॉलर का मुनाफा हुआ और अब योजना इस व्यवसाय को बढ़ाने की है - "So I guess a short-term financial goal would be to develop a business that turns over about five million dollars annually and in terms of longer term, visionary goals, we would just want to be the biggest fast fashion retailer for modest-dressing women."
हिजाब हाउस के वस्त्र महंगे हैं क्योंकि तारिक लगभग ३० प्रतिशत वस्त्र Sydney स्तिथ अपनी फैक्ट्री में ही बनवाते हैं उनके अनुसार ऐसा कर वह रामदान के व्यस्त महिने में ग्राहकों की खपत को पूरा कर पातेन हैं जो साल के कुल व्यवसाय की ७५ प्रतिशत बिक्री को दर्शाती है.
और साल भर इस बिक्री को बढ़ाने में सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.
हिजाब हाउस के लगभग तीन लाख अनुगामी फेसबुक और दो लाख अनुगामी इंस्टाग्राम पर हैं.
परन्तु इस प्रसिद्धि के साथ ही हिजाब हाउस और तारिक कुछ लोगों के निशाने पर भी आ गए हैं - "Someone had gone into our account, changed all our passwords and began systematically deleting all our photos and replacing them with Donald Trump propaganda or American political propaganda videos, guns, money, so very kind of anti-Islamic messages."
आज चार साल की कड़ी म्हणत के बाद तारिक अपने व्यवसाय और ग्राहकों का बचाव करने के जैसे आदि से हो गए हैं -"What we need to understand is that for a lot of Muslim girls putting on the hijab is extremely difficult in a country like Australia, where people see the hijab as a form of oppression."
जहाँ एक ओर ग्राहकों की लंबी पंक्ति दूकान के बाहर खडी है इस मौसम के नए डिजाईन और रंगों को खरीदने के लिये वहीँ दूसरी ओर तारिक अपनी पूरी कोशिश कर रहें हैं की मुस्लिम वेशभूषा की ओर लोगों का नजरिया बदले - "You have a choice whether to shut down or keep fighting for the people and the customers you love."