क्या कोविड वैक्सीन आने के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा?

Members of Gurukul congratulate Oxford university through painting at Lower Parel after COVID-19

Members of Gurukul congratulate Oxford university through painting at Lower Parel after COVID-19. Source: Satish Bate/Hindustan Times via Getty Images

कोविड महामारी से दुनिया त्रस्त है लेकिन परीक्षणों के अंतिम दौर में पहुंच चुके कई टीकों से उम्मीद की रौशनी भी दिखाई दे रही है. लेकिन क्या ऐसा होने वाला है कि एक वैक्सीन आएगी और सब कुछ सामान्य कर देगी.


ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य विभाग में सलाहकार डॉक्टर दीपक राय कहते हैं कि इस सवाल का जवाब भविष्य में इकट्ठा होने वाले आंकड़ो में छिपा है. लेकिन इतना तय है कि ये सब बहुत जल्द संभव नहीं है. 

डॉक्टर दीपक राय कहते हैं कि किसी वैक्सीन की मौजूदा प्रगति को जानने के लिए ये समझना ज़रूरी है कि आखिर एक वैक्सीन बनती कैसे है.

वो कहते हैं कि सबसे पहले वायरस के आकार-प्रकार को समझा जाता है उसका अध्ययन किया जाता है.

फिर उसके प्रोटीन को लेकर वैक्सीन के निर्माण की प्रक्रिया शुरू होती है. 

जब वैज्ञानिक एक वैक्सीन की गुणवत्ता की जांच करना शुरू करते हैं तो सबसे पहले उसे कुछ जानवरों में परखा जाता है.


मुख्य बातें:

  • ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य विभाग में सलाहकार डॉक्टर दीपक राय मानते हैं कि कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर अभी काफी संयम बरतने की ज़रूरत है.
  • वो कहते हैं कि सरकारें हर किसी शख्स को कोविड का टीका लगाने की तैयारी कर रही है, लेकिन क्या ये सभी को दिया जाना चाहिए ये बात लोगों पर परीक्षणों के वास्तविक आंकड़ों पर निर्भर करती है.
  • डॉक्टर दीपक के मुताबिक कोविड-19 वायरस मानव जीवन शैली में एक खास परिवर्तन कर चुका है और इन परिवर्तनों में से कुछ लंबे समय तक रहने वाली हैं. 
इस चरण की सफलता के बाद वैक्सीन का मानवीय परीक्षण शुरू होता है जो तीन चरणों में होता है. पहले चरण में बहुत कम संख्या में स्वस्थ्य स्वंयसेवियों को ये टीका लगाया जाता है.

इसमें देखा जाता है कि ये मानवों के लिए सुरक्षित है या नहीं.
Nurse Practitioner Gabriela Huyke prepares for medical examination of a volunteer for the COVID-19 vaccine study at the Research Centers of America
Nurse Practitioner Gabriela Huyke prepares for medical examination of a volunteer for the COVID-19 vaccine study at the Research Centers of America. Source: CHANDAN KHANNA/AFP via Getty Image
दूसरे चरण में सुरक्षा के साथ इसके असर का भी अध्ययन किया जाता है. कि ये मानव शरीर में एंटीबॉडीज़ बना रही है या नहीं. ये फिर कितनी मात्रा में बना रही हैं. 

तीसरे चरण में ज्यादा संख्या में लोग लिए जाते हैं जो कि हज़ारों में होती है. इसमें लोगों में इसके प्रभाव का अध्ययन किया जाता है,

इस चरण के बाद ही वैक्सीन नियामक संस्था के पास जाती है.

और इन संस्थाओं की हरी झंडी मिलने के बाद ही इन टीकों का उत्पादन शुरू होता है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैबसाइट के मुताबिक मौजूदा वक्त में दुनिया भर में करीब 169 वैक्सीन पर काम चल रहा है और इनमें से 26 मानव परीक्षण के चरणों तक पहुंच चुकी हैं. 

डॉक्टर दीपक कहते हैं कि, "इस वैक्सीन के बारे में कहा जा सकता है कि दो तरीके के लक्ष्य हैं एक ओर तो सरकारें यह कोशिश कर रही हैं कि हर किसी शख्स तक इन वैक्सीन को पहुंचाया जाए. इस बात की तैयारियां भी चल रही हैं लेकिन इसमें एक महत्वपूर्ण कारक ये है कि वैक्सीन आने के बाद उसका लोगों पर क्या असर होता है. इन आंकड़ों पर ये निर्भर करेगा कि क्या वैक्सीन सभी को दी जानी चाहिए या फिर केवल ज्यादा ख़तरे वाले लोगों को लगाई जाए."

डॉक्टर दीपक राय आगे कहते हैं, "इस वैक्सीन का निर्माण सामान्य से बहुत तेज़ी से हो रहा है, ऐसे में ये एक आदर्श स्थिति नहीं है. जिसका मतलब है कि इस वैक्सीन को लेकर ज्यादा सावधानी की ज़रूरत है."

हालांकि ये भी एक बड़ा सवाल है कि क्या कोविड वैक्सीन आने के बाद सब कुछ सामान्य हो जाएगा? या फिर 'कोविड-नॉर्मल' की स्थिति ज्यादा लंबे समय तक चल सकती है. 

इस सवाल के जवाब में डॉक्टर दीपक राय कहते हैं कि ये सब वैक्सीन आने के बाद लोगों पर उसके प्रयोग के जो वास्तविक आंकड़े होंगे उस पर निर्भर करेगा.

हालांकि वो इतना मानते हैं कि कोविड वायरस के ख़तरे का पूरी तरह निदान बहुत जल्द तो संभव नहीं है.
डॉक्टर राय ने एसबीएस हिंदी को बताया कि एक ओर ऑस्ट्रेलिया सरकार ने दवा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ संभावित कोविड वैक्सीन को सभी ऑस्ट्रेलियाई लोगों तक पहुंचाने का करार किया है वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन के साथ मिलकर एक कोवैक्स (COVAX) कार्यक्रम का निर्माण किया गया है इसमें ऑस्ट्रेलिया सहित कई देश शामिल हैं. जिसके तहत ये सुनिश्चित किया जा सके कि ये वैक्सीन आर्थिक तौर पर कमज़ोर देशों के लोगों तक भी पहुंचे.  

ऑस्ट्रेलिया में लोगों को एक-दूसरे से कम से कम 1.5 मीटर की दूरी बनाकर रखनी चाहिए. एक जगह कितने लोग जमा हो सकते हैं यह जानने के लिए अपने राज्य के दिशा-निर्देश देखें.

यदि आपको सर्दी या फ्लू के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो घर पर रहें और डॉक्टर से फोन पर बात करके जांच कराने का इंतजाम करें. आप कोरोनावायरस स्वास्थ्य सूचना हेल्पलाइन से 1800 020 080 पर भी संपर्क कर सकते हैं.

SBS ऑस्ट्रेलिया के विविध समुदायों को नवीनतम COVID-19 विकास के बारे में सूचित करने के लिए प्रतिबद्ध है. समाचार और सूचना www.sbs.com.au/coronavirus पर 63 भाषाओं में उपलब्ध है.

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