9 फरवरी को जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के कुछ छात्रों के विश्विद्यालय परिसर में अफज़ल गुरु और कश्मीर की भारत से आज़ादी के पक्ष में नारे लगाने का एक वीडियो मीडिया में सामने आया.
विपक्ष के दलों ने जैसे कांग्रेस और वामपंथियों ने सरकार के रुख की कड़े शब्दों में आलोचना की.
JNU को बंद कर दिये जाने की मांग क्यूंकि यहाँ देशद्रोही रहतें हैं एक हैशटैग #shutdownjnu के जरिया सोशल मीडिया और कुछ चुने हुए भारतीय मीडिया चैनल्स पर दिखाई दी जाने लगी.
जिन छात्रों ने यह प्रोग्राम आयोजित किया था उन्होंने ऐसी नारेबाज़ी करने से साफ़ इंकार कर दिया और भारत के संविधान में अपना विश्वास जताया.
उधर JNU एलुमनाई भी छात्रों की मदद के लिये आगे आ गए हैं. इसमें देशी और विदेशों में पढ़ या पढ़ा रहे दोनों ही तरह के एलुमनाई शामिल हैं जो अब सोशल मीडिया पर हैशटैग #istandwithjnu का इस्तेमाल करके लोगों को यहाँ के छात्रों का साथ देने का निवेदन कर रहें हैं.
विदेशों की कई यूनिवर्सिटीज के नामी गिरामी प्रोफेस्सोर्स और छात्रों ने भी अपने समर्थन की चिठियां के प्रशाशन को भेजी हैं!
हाल ही मैं दो और दोषी छात्रों उम्र खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य ने आत्मसमर्पण कर दिया.
अब मामला अदालत में हैं और देखना यह है की क्या फैसला आता है?