"काले मैगपाई से डरियो"

An Australian Magpie bird is seen near the MH17 memorial plaque outside Parliament House in Canberra, Wednesday, March 27, 2019. Stef Blok is in Australian on a 2-day official visit. (AAP Image/Lukas Coch) NO ARCHIVING

An Australian Magpie bird is seen near the MH17 memorial plaque outside Parliament House in Canberra. Source: AAP Image/Lukas Coch

इन दिनों आम राहगीरों पर मैगपाई पक्षियों के हमले की काफी खबरें आ रही हैं. दरअस्ल साल के इन कुछ महीनों में ये पक्षी हमलावर हो जाता है. ये कुदरती है लेकिन इससे सतर्क रहना भी ज़रूरी है.


आपने वो गाना ज़रूर सुना होगा. "झूठ बोले कौवा काटे..." अब झूठ बोलने पर कौवा काटेगा या नहीं ये कह नहीं सकते लेकिन इन दिनों अगर आप मैगपाई पक्षी के घोसले के पास से गुज़रे तो बहुत मुमकिन है कि वो आपको ज़रूर काट ले.

अब आप पूछेंगे कि वो किस गुनाह की सज़ा देने जा रहा है. तो जनाब मैगपाई पक्षी के इस कदम का सामाजिक न्याय से कोई सरोकार नहीं बस ये तो कुदरती न्याय है. अपने बच्चों के रक्षा का लिए उत्तेजित हो जाना कुदरती ही तो है. फिर वो इंसान हों, जानवर हों या फिर पक्षी, अगस्त सितंबर के इन कुछ हफ्तों में मैगपाई पक्षी भी कुछ आक्रामक हो जाता है. और कई बार वो उसके घोसले के पास से गुज़रने वाले लोगों पर हमला कर देता है. जी हां हमला और कभी कभार ये हमला नुकसानदेह भी साबित होता है. कुछ समाचार बताते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में मैगपाइ पक्षियों ने कई लोगों पर हमला किया है.
Magpie Attack
Source: AAP Photo/Alan Porritt
कई लोगों पर मैगपाई पक्षी का हमला

सिडनी के रूटी हिल इलाके में रहने वाले कुशाग्र बताते हैं कि वो थोड़ा डर गए थे जब एक मैगपाइ पक्षी ने एक नहीं दो-दो बार उन पर हमला किया. दरअस्ल वो कुछ दिन पहले सुबह ऑफिस के लिए निकले थे, वो पैदल ट्रेन स्टेशन की ओर बढ़ रहे थे तभी मैगपाई ने उन पर हमला कर दिया. हालांकि उस वक्त उन्होंने इसे महज एक संयोग समझा लेकिन जब उसी जगह उन पर एक और बार हमला हुआ तो उन्होंने इसकी पड़ताल की. तब जाकर उन्हें पता चला कि ऑस्ट्रेलिया में  अगस्त सितंबर के महीनों में ये आम है.  

क्यों आक्रामक हो जाता है मैगपाई

लेकिन मैगपाई हमेशा इतने आक्रामक नहीं रहते. वो तो बस अगस्त से अक्टूबर के बीच वो इसलिए आक्रामक होते हैं क्योंकि ये उनका प्रजनन काल होता है. साउथ ऑस्ट्रेलिया की पर्यावरण संबंधित वेबसाइट www.environment.sa.gov.au बताती है कि मैगपाई शोर मचाकर, चोंच से सिर पर हमला करके ये बताती है कि आस पास उसका घोंसला है और वो किसी को भी इससे दूर रखना चाहती है. क्योंकि या तो घोंसले में अंडे होते हैं या फिर नन्हें बच्चे. हालांकि शोध बताते हैं कि हमलों का ये दौर 6 हफ्तों से ज्यादा नहीं चलता. क्योंकि इतने दिनों में मैगपाई के बच्चे घोंसले से उड़ने लायक हो जाते हैं.

और इत्तेफाक देखिए घोंसलों की सुरक्षा का ज़िम्मा नर पक्षी के पास होता है. और वो हर उस चीज़ पर हमला करता है जिसे वो घोंसले के लिए ख़तरा समझता है. चाहे वो कोई पशु-पक्षी हों या फिर आदमी. अब मैगपाई ने तो ठान ली है कि वो अपने घोंसले की सुरक्षा करेगा. लेकिन उसकी सुरक्षा कभी-कभी आपके लिए घातक हो सकती है.. खास तौर पर बच्चों के लिए और उनके लिए जो साइकिल या बाइक पर जा रहे हों.

बचाव का रास्ता ढूंढना ही है अक्लमंदी

इस हमले को आप प्राकृतिक ही कह सकते हैं मैगपाई की आपसे कोई दुश्मनी नहीं वो तो बस प्रकृति में अपना काम कर रहा है. ऐसे में इन संभावित हमलों से बचने का सबसे पहला उपाय तो ये है कि अगर आपको घोंसले की जगह पता हो तो वहां से रास्ता बदलकर निकलें क्योंकि माना जाता है कि मैगपाई की सुरक्षा का दायरा उसके घोंसले के 50 मीटर के आस पास ही होता है. और हां ये भी अक्सर देखा गया है कि जहां एक बार मैगपाई घोसला बनाता है, इस बात की बहुत संभावना है कि अगले साल भी वो वहीं पर घोसला बनाए. तो आप इसका खयाल रख सकते हैं. हालांकि अगर रास्ता बदलना संभव नहीं है तो www.environment.sa.gov.au वेबसाइट कुछ और उपाय बताती है.

  • पहला ये कि मैगपाई के घोसले के पास से समूह में गुज़रें क्योंकि मैगपाई अक्सर अकेले होने पर ही हमला करता है.
  • आप संभावित हमले से बचने के लिए छाते का प्रयोग कर सकते हैं.
  • आप धूप का चश्मा और चौड़ी हैट का प्रयोग कर सकते हैं.
  • अगर आप बाइक या साइकिल से जा रहे हैं और आपको पता है कि आपके रास्ते में मैगपाई का घोंसला है तो आप बाइक के पीछे अपने सिर से ऊंचा कोई झंडा लगा सकते हैं.
  • आपको पता है इन दिनों मैगपाई के प्रति आक्रामक होना कितना भारी पड़ सकता है. वो आपको इस साल ही नहीं अगले कई सालों तक ख़तरे के तौर पर चिन्हित कर सकता है.
  • घोंसले के पास से दौड़ें नहीं.
  • इस पक्षी से आंख मिलाना भी भारी पड़ सकता है. वो आपको खतरा मानकर हमला कर सकता है.
  • और एक और बड़ी बात अगर आप किसी ऐसे इलाके को देखते हैं तो दूसरे लोगों को सावधान करने के लिए वहां पर एक चिन्ह ज़रूर लगा दें.
 


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