भारतीये संस्कृति और भाषा को ऑस्ट्रेलिया में आगे आने वाली पीढ़ियों में जीवित रखने के लिये मेलबोर्न स्थित संस्था शिशुकुंज आठ वर्षों से प्रयास कर रही है.
इस वर्ष दशहरा और दिवाली के उपलक्ष में शिशुकुंज के बच्चे शबरी की कहानी को प्रस्तुत करेंगे.
इस कहानी को रंगमंच पर देखने आने वालेमें होंगे न केवल भारतीय बल्कि ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न सांस्कृतिक समुदायों के लोग.
आइये इसी पर सुनिये शिशुकुंज के चेयरमैन नीलेश, अभिभावक -स्वयंसेवक दीपन, और युवा-स्वयंसेवक और शबरी में किरदार निभा रहे जतन और कुशाल के साथ अमित सारवाल की ख़ासबातचीत.