कोयले की कीमत

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Coal power plant Source: Money Sharma

हाल ही में छपी ब्रिस्बेन स्तिथ तीन शोधकर्ताओं की एक रिपोर्ट ने ऑस्ट्रेलियाई सरकार के इस दावे को गलत साबित कर दिया है की आने वाले वर्षों में यहाँ की खदानों से निकला कोयला ही भारत के पिछड़े इलाकों में सस्ती बिजली उपलब्ध करवायेगा.


ब्रिस्बेन स्तिथ तीन ऑस्ट्रेलियाई शोधकर्ताओं – Lynette Molyneaux, Professor John Foster, and Dr Liam Wagner - ने ऑस्ट्रेलिया के गैलीली बेसिन से भारत के बिहार राज्य में कोयले से उत्पादित बिजली पहुचाने की कुल कीमत निकलने का प्रयास किया है. 

565 अमेरिकी डॉलर प्रति व्यक्ति के सकल घरेलू उत्पाद के साथ बिहार में  भारत में बिना बिजली के घरों की संख्या भारत में सबसे ज्यादा है, लगभग ७५ मिलियन.

बिहार के तुर्की गावं में आज भी हज़ार से भी ज्यादा लोग बिना बिजली के रह रहें हैं. यह हाल आज़ादी के बाद से अब तक राज्य और राष्ट्रीय स्तर के नेताओं और  सरकारों के बड़े बड़े वादों, जैसे हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के तीन सूत्रीय कार्यक्रम की आशा के बाद भी ज्यों का त्यों है!

Lynette Molyneaux, जो की University of Queensland के Global Change Institute में Research Officer के रूप में कार्यरत हैं, बताती हैं की बिहार में बीस वर्षों तक प्रति घर बिजली पहुचाने के लिये आधारभूत सुविधाएँ तैयार करने पर कुल खर्च आश्चर्यजनक रूप से 29 बिलियन अमेरिकी डॉलर आएगा! जब कि इस कोयले के प्रज्वलन से उत्पादित बिजली के लिये निवेश का मूल्य 13.6 सेंट्स प्रति किलोवाट ऑवर निकला

इसी प्रकार से क्वींसलैंड के घरों में इससे आधे दामों पर कोयले से उत्पादित बिजली पहुंचायें जा रही है.

Dr Liam Wagner के अनुसार इतने बड़े अंतर का कारण ऑस्ट्रेलिया में नेटवर्क कॉस्ट्स और बिहार में प्रति व्यक्ति औसत दैनिक आय है.

भारत में  वायु प्रदूषण का मुख्या कारण खाना पकाने तथा गर्मी पैदा करने के लिये पारम्परिक चूल्हे जिनमे लकड़ी, गोबर  के उपले और केरोसिन के स्टोव शामिल हैं.वायु प्रदूषण के आलावा यह आग, गंभीर रूप से जलने, कार्बन मोनोऑक्साइड विषाक्तन और कई अन्य प्रकार की श्वास सम्बन्धी बिमारियों का भी कारण हैं

हाल ही में University of British Columbia (Canada) के Professor Michael Brauer के प्रकाशित शोध से पता चला है की विश्व में प्रति वर्ष 5.5 मिलियन लोग वायु प्रदुषण से असामयिक मारे जाते हैं. Professor Brauer ने को बताया की इसमें आधे से ज्यादा मौतें भारत और चीन में होती हैं.

तो आखिरकार कोयले से उत्पादित बिजली से न तो बिहार में स्वस्थ्य समबन्धी सुधार होंगेऔर न ही दूर दराज़ के गावं के गरीब लोगों को सस्ती बिजली उपलब्ध होगी!

परन्तु Liam मानते हैं की अगर बिहार में स्थानीय संसाधनों का इस्तेमाल करके बिजली उत्पादित की जाये तो यह वहां के लोगों को नौकरी प्रदान करने के साथ ही भारत की आर्थिक तरक्की में भी बड़ा योगदान करेगा.

Lynette सुझाती हैं की भारत जैसे देश में यदि नवीकरणीय संसाधनों को कोयले के विकल्प के रूप में इस्तेमाल किया जाये जो काफी सस्ते और वायु प्रदुषण को कम करने में सहयता कर सकते हैं!

अब यह तो वक़्त की बतायेग की लोग कोयले की सही कीमत पहचानतेन हैं और सस्ते नवीकरणीय संसाधनों को  विकल्प के रूप में चुनने का फैसला करते हैं जो Professor Brauer के अनुसार वायु प्रदुषण से निजाद दिला सकता है. 

 


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