डॉ. विक्रांत किशोर ने महान फिल्मकार महबूब खान के पोते अफजल खान से बातचीत की थी. इस बातचीत में महबूब और मदर इंडिया के बारे में कई दिलचस्प बातें पता चलीं. जैसे कि मदर इंडिया के रूप में अपना सपना पूरा करने के लिये महबूब खान भारी कर्ज में डूब गए थे. उनके पास इतना पैसा भी नहीं था कि वह अमेरिका जाकर ऑस्कर के लिए नॉमिनेट हुई फिल्म का प्रचार कर सकें. मदर इंडिया उनके लिए सिर्फ फिल्म नहीं थी बल्कि उनके दिल का टुकड़ा था. इसलिए जब 1958 मदर इंडिया विदेशी भाषा फिल्म की कैटिगरी का ऑस्कर जीतने से चूक गई तो महबूब का दिल टूट गया. उन्हें दिल का दौरा पड़ा.
डॉ. किशोर ने महबूब साहब के बारे में और भी कई जानकारियां दी हैं और बात की इस महान फिल्मकार के महीन काम के बारे में कि कैसे घोड़े के खुर में नाल ठोकने वाला एक लड़का हिंदी सिनेमा का सरताज बन गया.


