Sydney celebrates 'Hindi' in style

भारतीय संस्कृति दुनिया को वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश देती है। जिसका मतलब है कि पूरी दुनिया एक परिवार की तरह है। और ऑस्ट्रेलिया जैसे देश में हम इस सपने को साकार होता हुआ देखते हैं। मौका था इंडो-ऑस्ट्रेलियन बालभारती विद्यालय के तीसवीं वर्षगांठ का जिसमें हिंदी दिवस को थीम चुना गया था।

Sydney

Source: Gaurav Vaishnav

...तो सिडनी जैसे शहर में हिंदी से मिलने जब एसबीएस की टीम की पहुंची तो देखा कि हिंदी तो अंग्रेज़ी और दूसरी भाषाओं के साथ खुश होकर नाच-गा रही थी।

 

इस कार्यक्रम की शुरूआत हुई रघुपतिराघव की धुन से लेकिन ये विशुद्ध हिंदुस्तानी धुन भी ऑस्ट्रेलिया के आदिवासी वाद्य के साथ और मंत्रमुग्ध कर देने वाली थी।
दीप प्रज्वलन कार्यक्रम भी बेहद खास था जहां भारतीय संस्कृति के दीयों को रौशन करने वाले हाथ गैर-हिंदी थे। और दोनों देशों के राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े लोग ये बता रहे थे कि जब दो देशों के संस्कृति मिलती है तो और समृद्ध हो जाती है।

कार्यक्रम में ऑस्ट्रेलियाई एबओरिजनल संस्कृति के पताका लिए ग्रेग सिम्स भी पहुंचे तो अफ्रीकी मूल के येमी भी। जी हां येमी पैरामाटा नॉर्थ सेंटर के पहले हिंदी के छात्र हैं। बड़ी दिलचस्प है येमी के हिंदी प्रेम की कहानी पहले येमी की हिंदी सुनिए और जहां येमी बता रहे हैं कि उन्हे दीवाली और होली भी पसंद हैं.

और अब आप ये सुनिए कि कैसे येमी के हिंदी प्रेम ने पिता को हिंदी सीखने के लिए मना ही लिया।

ये ही नहीं कार्यक्रम में आए विशिष्ट अतिथियों ने भी हिंदी और भारतीय संस्कृति को सम्मान देने में कोई कसर नहीं छोड़ी एमपी जूलियन ने अपने संबोधन की शुरूआत हिंदी से की तो एमपी जोडी मैके साड़ी में नज़र आईं.

कार्यक्रम आगे बढ़ रहा था और अब बारी थी नाटक चूं-चूं का मुरब्बा की जिसमें अपने अभिनय से छात्रों ने दर्शकों को खूब गुदगुदाया।

और इस सब के साथ साथ चलता रही डांस की मस्ती भी
Hindi
Source: Gaurav Vaishnav
कार्यक्रम का एक और मुख्य आकर्षण था कविता पाठ जिसमें अलग अलग एज ग्रुप के बच्चों ने भाग लिया.. जहां कुछ कविताएं बालमन को दर्शा रही थीं तो वहीं कुछ तुतलाती आवाज़ें संजीदा पैगाम भी दे रही थी।

कार्यक्रम में बतौर अतिथि शरीक हुए कौंसल जनरल ऑफ इंडिया ने भी कार्यक्रम के लिए आयोजकों को बधाई दी और बच्चों को प्रोत्साहित किया।

वहीं मल्टीकल्चरिज़्म मिनिस्टर रे विलियम्स ने बताया कि सरकार भी भाषाओं को प्रोत्साहन देने लिए प्रतिबद्ध है।
Sydney
Source: Gaurav Vaishnav
इंडो-ऑस्ट्रेलियन बालभारती विद्यालय की संस्थापिका माला मेहता का कहना था कि आस्ट्रेलिया जैसे मल्टीकल्चरल देश में हिंदी की महत्ता बढ़ती जा रही है हिंदी के प्रसार में इतनी सफलता पाने के बाद अब वो हिंदी को स्कूलों के मुख्य पाठ्यक्रम में शामिल करवाने के लिए प्रयासरत हैं।

उम्मीद की जानी चाहिए कि माला जी ये सपना जल्द पूरा होगा ताकि हिंदी और अधिक मज़बूती के साथ ऑस्ट्रेलिया की मल्टीकल्चरल देश की छवि को समृद्ध कर सके।

Follow us on Facebook.


Share
3 min read

Published

Updated

By Gaurav Vaishnav

Share this with family and friends


Download our apps
SBS Audio
SBS On Demand

Listen to our podcasts
Independent news and stories connecting you to life in Australia and Hindi-speaking Australians.
Ease into the English language and Australian culture. We make learning English convenient, fun and practical.
Get the latest with our exclusive in-language podcasts on your favourite podcast apps.

Watch on SBS
SBS Hindi News

SBS Hindi News

Watch it onDemand