भारत में लड़के और लड़की के बीच भेदभाव करना आज भी एक बड़ी समस्या है.
परंतु एक डॉक्टर का यह निर्णय की बेटी होने पर वह पैसा नहीं लेंगे अब अन्य डॉक्टरों को भी ऐसा ही कुछ करने के लिये प्रेरित कर रहा है.
आज डॉ गणेश रख के दफ्तर के आंकड़े दर्शाते हैं की भारत-भर से लगभग १७००० डॉक्टर और मेडिकल छात्र उनके इस मिशन का हिस्सा बन गए हैं.
४१ वर्षीया डॉ रख ने स्वयं भी बचपन से मुशिकलों का सामना किया है.

Dr Ganesh Rakh Source: Dr Ganesh Rakh Facebook
उनके पिता एक कुली थे और इस कारण उनके से कई बार भेदभाव हुआ.
हो सकता है अब डॉ रख और १७००० अन्य डॉक्टरों को देख भारत के जन-जन में बेटियों के प्रति स्नेह और सम्मान बढ़ेगा.