वेबसाइट स्टफ की खबर है कि जोधबीर सिंह ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए लाइसेंस बनवाया था जिसके पकड़ में आने पर उनका वीसा रद्द कर दिया गया है.
स्टफ के मुताबिक जोधबीर सिंह एक डेयरी कंपनी में बतौर फॉर्कलिफ्ट ड्राइवर काम करते थे. जब उन्होंने वर्कवीसा हासिल करने के लिए अपना लाइसेंस दिया तो फर्जीवाड़ा पकड़ में आया.
ऑकलैंड में हुई मामले की सुनवाई के दौरान बताया गया कि अपना फर्जी लाइसेंस वेरिफाई करवाने के लिए भारतीय अधिकारियों पर दबाव डलवाया गया था.
फर्जीवाड़े के सामने आने के बाद मानवीय आधार पर न्यू जीलैंड का वीसा पाने की जोधबीर सिंह की अर्जी खारिज कर दी गई है.
फर्जीवाड़े का पता तब चला जब मार्च में जोधबीर सिंह ने वर्क वीसा के लिए अप्लाई किया. तब उन्होंने अपना भारतीय ड्राइविंग लाइसेंस अर्जी के साथ लगाया था. अधिकारियों ने जब कहा कि लाइसेंस वेरिफाई किया जाएगा तो जोधबीर सिंह ने अपनी अर्जी ही वापस ले ली. लेकिन तब तक लाइसेंस के वेरिफिकेशन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी थी.
न्यू जीलैंड के अफसरों ने पंजाब के अमृतसर में रीजनल ट्रांसपोर्ट ऑफिस से पता किया तो पता चला कि यह लाइसेंस फर्जी था.
उसके बाद जोधबीर सिंह को देश छोड़ने का नोटिस थमा दिया गया. उन्होंने इस फैसले के खिलाफ अपील की लेकिन इमिग्रेशन ऐंड प्रोटेक्शन ट्राइब्यूनल ने अपील खारिज कर दी.
हालांकि जोधबीर सिंह की पत्नी अपने बच्चे के साथ 2020 तक न्यू जीलैंड में रह सकती हैं क्योंकि उनके पास तब तक का वर्क वीसा है.