ऑस्ट्रेलिया भर के चिकित्सकों द्वारा भेजे गए नए सुझावों से पता चलता है एंटीबायोटिक्स और पेनकिलर्स का गैरजरूरी इस्तेमाल शरीर का कल्याण करने की जगह उसे हानि पहुंचा रहा है.
गैर सरकारी संस्था N-P-S MedicineWise द्वारा संकलित इस रिपोर्ट का उद्देश्य डॉक्टरों तथा मरीज़ों को प्रोत्साहित करना हैं यह सोचने के लिये की क्या मेडिकल टेस्ट्स स्केन्स और उपचार हमेशा अनिवार्य है.
Royal Australian College of General Practitioners के अध्यक्ष Dr Frank Jones के अनुसार एंटीबायोटिक या प्रतिजैविक के प्रति शरीर में बढ़ती प्रतिरोधक क्षमता दुनियाभर के लिये चिंता का विषय है और इसे गंभीरता से लिया जाना चहीयहै - और ख़ास तौर पे बच्चों के मामलों में– "One of the specific recommendations we talked about today was about not using antibiotics in children between the age of 2 and 12 -- this is excluding Aboriginal and Torres Strait Islander children -- not using an antibiotic if the child only has a sore ear or a red eardrum, with no other signs of severe infection."
Dr Jones मानते हैं की लोगों को यह बताना बेहद जरूरी है की एंटीबायोटिक्स जर्म्स या रोगाणु को मरती है नाकि वायरस या विषाणु को!
Australian College of Nursing's में कार्यरत Kylie Ward मानती है की अगर आपको सिर्फ हल्का बुखार है तो शरीर को उससे लड़ने दीजिये और रोग का निवारण करिये - "Having a fever will actually contribute to the healing process. That is, if the child is not displaying any other symptoms and if they're undistressed."
इस तहकीकात में पेनकिलर्स और बुखार की दवाई जैसेparacetamol या ibuprofen भी शामिल है!