खान-पान में बदलाव करके, इस बीमारी में मिल सकती है राहत

Irritable Bowel Syndrome Fodmaps

Source: Flickr

IBS यानी Irritable Bowel Syndrome जैसी बीमारी के लक्षणों में खान-पान में कुछ बदलाव करके राहत पाई जा सकती है. इस तरह के भोजन को Low FODMAP भोजन कहते हैं, लेकिन डॉक्टर विनय मेहरा कहते हैं कि बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी कदम उठाना हानिकारक हो सकता है.


दुनिया में 15 फीसदी लोग IBS से ग्रसित

विक्टोरिया के मोनेश विश्वविद्यालय के एक वेबसाइट बताती है कि दुनिया भर में 15 फीसदी ऐसे लोग हैं जो कि इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम जैसी बीमारी से ग्रसित हैं. यानी कि 7 में से एक 1 शख्स को ये बीमारी है.

इस बीमारी में पेट फूलना, पेट का बढ़ना, अत्यधिक मात्रा में गैस, और हर वक्त शौच की इच्छा जैसे लक्षण रहते हैं.

लेकिन अब ये बताया जा रहा है कि अपने खान-पान में बदलाव करके आप इस तरह के लक्षणों में कमी ला सकते हैं. इस तरह के भोजन को लो-फोडमैप भोजन कहते हैं. क्या है इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम और क्या है फोडमैप की संकल्पना. इस बारे में जानने के लिए हमने बात की रूटी हिल मेडिकल एंड डेंटल सेंटर में डॉक्टर विनय मेहरा से

क्या है फोडमैप की संकल्पना?

डॉक्टर मेहरा बताते हैं कि फोडमैप की संकल्पना इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम बीमारी के इर्द गिर्द है. वो कहते हैं कि कभी कुछ भोजन की शर्करा या स्टार्च कुछ लोगों के पेट में परेशानी पैदा करते हैं. इसके लिए भोजन में परिवर्तन किए जा सकते हैं. 

अब बात आती है फोडमैप और लो फोडमैप खाने की क्या है ये भोजन और ये कैसे इरिटेबल बोवेल सिंड्रोम जैसी बीमारी में काम करता है?
Dr Vinay Mehra_GP
Dr. Vinay Mehra, GP Rooty Hill Medical and dental Centre Source: Supplied
डॉक्टर विनय मेहरा कहते हैं कि भोजन को हम दो श्रेणियों में बांट सकते हैं पहले वो जो हाई फोडमैप भोजन जो कि गैस ज्यादा बनाते हैं और कुछ लोगों में इससे अपचन की स्थिति होती है. इन लोगों की आंतों की गति कुछ धीमी हो जाती है. ऐसे लोगों को लो फोटमैप भोजन लेने की सलाह दी जाती है जिससे इनमें IBS के लक्षण कम हो जाते हैं. डॉक्टर मेहरा कहते हैं.

"आपको जानकर हैरानी होगी कि हमारे खाने में ज्यादातर प्रयोग में आने वाले लहसुन, प्याज़, सेब, मटर हाई फोडमैप भोजन की श्रेणी में आते हैं, और शिमला मिर्च, संतरा, अंगूर लो फोडमैप भोजन में आते हैं."

बिना चिकित्सक की सलाह के न लें कोई फैसला

डॉक्टर मेहरा साफ करते हैं कि कोई भी इस बात का फैसला खुद ना करे कि उन्हें लो फोडमैप खाना ही खाना चाहिए. वो कहते हैं कि ये भी हो सकता है कि इस तरह के लक्षण किसी दूसरी बीमारी के भी हों. इसलिए किसी भी तरह की परेशानी के लिए डॉक्टर की सलाह लेनी ज़रूरी है.

अब हमने सवाल किया की ऑस्ट्रेलिया जैसे बहुसांस्कृतिक समाज में तरह-तरह के खाने हैं और उन खानों में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री भी अनेकों तरह की हैं इसलिए कैसे कुछ ऐसे भोजन बनाने की विधि प्राप्त की जा सकती है जो कि लो फोड मैप हो. इसके जवाब में डॉक्टर विनय मेहरा कहते हैं कि विक्टोरिया के मोनाश विश्वविद्यालय ने इस पर शोध के बाद एक एप तैयार की है जिसमें कि कई तरह के लो-फोडमैप व्यंजनों की विधि दी गई है.

अगर आप स्वस्थ हैं तो ये भोजन आपके लिए नहीं है

अब हमने सवाल किया कि क्या कोई स्वस्थ व्यक्ति भी भविष्य में स्वस्थ रहने के लिए इस तरह के भोजन को प्रयोग कर सकता है. इस सवाल के जवाब में डॉक्टर विनय मेहरा कहते हैं कि

"कोई भी शोध ये प्रमाणित नहीं करता है कि लो-फोडमैप भोजन बहुत पौष्टिक हैं और स्वस्थ रहने के लिए ज़रूरी हैं इसलिए जिन लोगों को सामान्य भोजन से कोई परेशानी नहीं है उन्हें अपने भोजन में कोई बदलाव नहीं करना चाहिए."

लो फोडमैप भोजन के बारे में ज़्यादा जानकारी के लिए आप मोनाश विश्वविद्यालय की वेबसाइट www.monashfodmap.com पर जा सकते हैं. 

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Disclaimer: We’d like to point out that the information contained in this segment is general and is not specific advice. If you would like accurate information relevant to your situation, you should consult a registered health practitioner.


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