किसी भी महिला के लिये बच्चे को जन्म देना जीवन के बृहत्तम उपहारों में से एक हटा है परन्तु विकासशील देशों में यह जच्चा और बच्चा के जीवन के लिये जोखिम भरा भी हो सकता है.
पर अब भारतीय मूल का एक ऑस्ट्रेलियाई दम्पति जोड़ा इस जोखिम को कुछ महिलाओं के लिये कम करने का प्रयास कर रहा है.
यह डॉक्टर दम्पति भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में प्रसव से जुडी बुनियादी शिक्षा को पहुंचा कर माँ और नवजात शिशु के मृत्यु दर को कम करने की पहल कर रहा है.
डॉ दम्पति अतुल मल्होत्रा और अरुणाज कुमार neonatologist- और obstetrician- की एक टीम एक रूप में कार्यरत हैं.
कई वर्षों तक दोनों ने मेलबोर्न के दक्षिण पूर्व में स्तिथ Monash Children's Hospital और Monash Health- में ऐसे परिवारों को आशा प्रदान की है जिन्हें प्रसव में समस्याएं आ रही थी.
और अब यह दोनों मिलकर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में चल रहे प्रसव केंद्रों और हस्पतालों में ठीक वैसा ही कार्यक्रम चला रहे हैं.
डॉ मल्होत्रा बताते हैं की हाल ही में दोनों ने पंजाब का दौरा कर वहां के स्थानिये चिकित्सा कर्मचारियों की आव्यशक्ताओं का जान कर मदद की है.
"The gap that we realised most of them have is that they're taught in their medical school or nursing school or wherever they come from about what is childbirth, and what to expect and so forth, but there's no hands-on skills training."
भारत में दोनों का लक्ष्य जटिल प्रसव के दौरान जच्चा और बच्चा की मृत्यु दर में कमी लाना है.
कृत्रिम अनुकरण तकनीक का सहारा लेकर इन्होंने स्थानीय चिकित्सा कर्मचारियों के कौशल में थोड़ा सुधार किया है.
डॉ कुमार के अनुसार इनका एक उद्देश्य था स्थानीय चिकित्सा कर्मचारियों को रक्तस्त्रवण और गर्भाशय संबंधी जटिल समस्यों को समझना.
इनसे नवजात शिशु के मस्तिष्क में दीर्घकालीन क्षति या मृत्यु भी हो सकती है.
"I set up the simulator and asked the midwife, 'Okay, just think of this as a real woman. What would you do?' They were amazed. They couldn't believe that such sort of training exists."
अरुणज कुमार और अतुल मल्होत्रा १३ वर्ष पहले भारत से ऑस्ट्रेलिया आकर बसे.
डॉ कुमार के अनुसार उन्होंने भारत में चिकित्सा सुविधाओं का अभाव प्रत्यक्ष रूप से महसूस किया है.
"There are real personal experiences that I can draw upon, where I've seen women suffer, bleed extensively, and nothing much could be done about it. If I knew then what I know now, I probably would have been able to do something about it."
प्रसवोत्तर रक्तस्राव विकाशील देशों में पहली बार जन्म देने वाली महिलाओं की मृत्यु का सबसे बड़ा कारण है.
यह ऑस्ट्रेलिया में कम है क्योंकि डॉ मल्होत्रा के अनुसार इसे रोका जा सकता है.
"Difficult births and babies are compromised probably five to 10 times a week (in India). We see those kinds of situations five to 10 times a year (in Australia). So it's huge. And I'm just talking about one institute."
यह डॉक्टर दम्पति मानते हैं की इस प्रकार की म्रत्यु को भारत में कम किया जा सकता है और यदि वह यहाँ सफल रहते हैं तो इस कार्यक्रम को अन्य विकाशील देशों में भी पहुचाने की कोशिश करेंगे.
डॉ कुमार बताती हैं की उनका मकसद समाज को कुछ वापिस देने से भी जुड़ा है.
"It was always there, that, it doesn't matter where we may be, which part of the world, we would always go back and do this, do something to help the women."