क्या डॉक्टर की सलाह या निर्देश ठीक से समझ पाते हैं आप?

Hospital Room

Representational image of a hospital Room Source: Getty Images

2 सितंबर से 8 सितंबर तक के सप्ताह को बहुसांस्कृतिक स्वास्थ्य सप्ताह के तौर पर मनाया जा रहा है. शायद इस सप्ताह की बहुत ज़रूरत भी है, क्योंकि आंकड़े ये ही बता रहे हैं कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरुकता फैलाने के लिए बहुत कुछ करने की ज़रूरत है. करीब 75 फीसदी ऐसे प्रवासी जो कि ग़ैर अग्रेज़ी भाषी देशों से आते हैं स्वास्थ्य साक्षरता में काफी पिछड़े हुए हैं.


स्वास्थ्य के संबंध में जारी एक फैक्ट शीट और वीडियो लॉन्च किया गया है जिसमें बताया गया है कि करीब 60 फीसदी ऑस्ट्रेलियाई लोगों में हेल्थ लिटरेसी यानी स्वास्थ्य साक्षरता या सरल शब्दों में कहें तो स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी है. इसका सीधा मतलब ये है कि वो डॉक्टर या किसी स्वास्थ्यकर्मी द्वारा दी गई जानकारियों को भी पूरी तरह नहीं समझ पाते.

प्रवासियों में स्वास्थ्य साक्षरता की बेहद कमी

आपको ये जानकर ज्यादा आश्चर्य होगा कि स्वास्थ्य जागरुकता के बारे में बात जब गैर अंग्रेज़ी भाषी देशों में जन्मे प्रवासियों की आती है तो ये आंकड़ा और बढ़ जाता है. आंकड़े बताते हैं कि ऐसे करीब 75 फीसदी प्रवासियों को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी समझने में परेशानी का सामना करना पड़ता है. 

स्वास्थ्य साक्षरता मामलों की विशेषज्ञ डेना माओवाड कहते हैं। कहती हैं किसी दूसरे देश में जाकर बसना और एक नई भाषा सीखना अपने आप में बहुत कठिन है. और उस पर स्वास्थ्य के नए तंत्र के बारे में सीखने और परेशानी बढ़ती है.

क्या है हेल्थ लिटरेसी?

स्वास्थ्य विभाग में सलाहकार, डॉक्टर दीपक राय हेल्थ लिटरेसी के बारे में बताते हुए कहते हैं कि कौन सही जानकारी यानी किसी स्वास्थ्य विशेषज्ञ या डॉक्टर से मिलने वाली जानकारी पर अमल करता है ये उसकी स्वास्थ्य के प्रति साक्षरता के बारे में बताती है. एक उदाहरण के तौर पर वो कहते हैं कि अगर कोई डॉक्टर किसी मरीज़ को कहता है कि केवल पैरासिटामोल लेने से उसकी तबीयत ठीक हो जाएगी. और वो उस पर अमल करता है तो वो स्वास्थ्य के प्रति साक्षर है. यदि वो कहता है कि कुछ और दवा की मांग करता है तो उसकी साक्षरता उससे कम मानी जाएगी. और अगर वो पूर्व में अपने अनुभव के आधार पर एंटीबायोटिक की मांग करता है तो साफ है कि वो स्वास्थ्य मामलों की समझ नहीं रखता. 

प्रवासियों में स्वास्थ्य संबंधी जानकारी की कमी के कारणों पर बोलते हुए डॉक्टर राय बताते हैं कि दरअस्ल दो देशों के स्वास्थ्य तंत्र में अंतर होता है. ज्यादातर प्रवासी विकासशील देशों से यहां आए हैं और बहुत संभव है कि उन्हें वहां पर उचित स्वास्थ्य जानकारियां ना मिली हों. लेकिन वो अपने पूर्व अनुभवों पर ही विश्वास करते हैं और नए ज्ञान को स्वीकार नहीं कर पाते.

बुज़ुर्गों के मुकाबले काफी सजग हैं युवा 

वेस्टमीड मेडिकल सेंटर में डॉक्टर मनमीत मदान कहते हैं कि युवा प्रवासियों में तो जानकारी है लेकिन बड़ी उम्र के लोगों को बहुत परेशानी होती है. भारतीय प्रवासियों के बारे में वो कहते हैं कि दोनों देशों के स्वास्थ्य संबंधी तंत्र में काफी अंतर हैं इस लिए भी लोगों को परेशानी होती है क्योंकि वो समझ नहीं पाते कि क्यों उन्हें ये सलाह दी जा रही है. डॉक्टर मदान कहते हैं कि इस वजह से आस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य तंत्र पर भी बुरा असर पड़ रहा है.

ज़ाहिर है जब किसी को स्वास्थ्य संबंधी जानकारी या निर्देश समझने में परेशानी हो रही है तो इसके दुष्परिणाम भी देखने को मिलेंगे. जैसे कि दवा लेने में अनियमितताएं और अस्पताल में ज्यादा भर्तियां. न्यू साउथ वेल्स मल्टीकल्चरल हेल्थ कम्यूनिकेशन सर्विस की डायरेक्टर लीज़ा वुडलेंड कहती हैं कि नए और उभरते समुदायों पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं ऐसे लोग जो कि कुछ समय पहले ही आस्ट्रेलिया में पहुंचे हैं. या फिर जिनकी संख्या कम है या फिर ऐसे समुदाय जो कि यहां बाकी प्रवासी समुदायों की तरह यहां रच-बस नहीं गए हैं.

स्वास्थ्यकर्मी अबुल्ला अगवा कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया में नए आए लोगों को उनके समुदाय के लोगो द्वारा ही स्वास्थ्य सेवाएं देना स्वास्थ्य साक्षरता के क्षेत्र में एक बड़ा परिवर्तन पैदा कर सकता है. अबुल्ला अगवा पश्चिमी सिडनी में माउंट ड्रूट एथनिक कम्यूनिटी एसोसिएशन के तहत एक स्वास्थ्य सहायता समूह चलाते हैं. वो कहते हैं कि लोग उनके पास आते हैं और हर चीज़ की जानकारी लेते हैं जैसे स्वास्थ्य जांच के लिए डॉक्टर के पास कैसे जा सकते हैं. कैसे एक विशेषज्ञ डॉक्टर तक पहुंचा जा सकता है. मेडिकेयर के सुविधा कैसे ली जा सकती हैं और यहां तक की तनाव से मुक्ति के लिए क्या किया जा सकता है.

जॉन वोल सप्ताह में एक बार ऐसे समूहों में जाते हैं और कहते हैं कि उन्हें यहां कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं. लेकिन इन समूहों ने उन्हें बहुत कुछ दिया है.

इस सप्ताह भी 20 और भाषाओं को बोलने वाले लोगों के बारे में हेल्थ फैक्ट शीट और वीडियो जारी किए गए हैं. सुश्री वुडवर्ड बताती हैं कि नए संसाधनों को ऐसे समुदायों पर केंद्रित किया जा रहा है जो कि यहां पूरी तरह रचे-बसे नहीं हैं.


Share
Download our apps
SBS Audio
SBS On Demand

Listen to our podcasts
Independent news and stories connecting you to life in Australia and Hindi-speaking Australians.
Ease into the English language and Australian culture. We make learning English convenient, fun and practical.
Get the latest with our exclusive in-language podcasts on your favourite podcast apps.

Watch on SBS
SBS Hindi News

SBS Hindi News

Watch it onDemand