बच्चों पर दिखने लगा है लॉकडाउन का बुरा असर

Himanshu and Aarav enjoying time together

Himanshu and Aarav spending time together before the lockdown Source: Sbs Hindi

कोरोना महामारी को देखते हुए ऑस्ट्रेलिया के लगभग सभी प्रांतों में प्रतिबन्ध देखने को मिले लेकिन विक्टोरिया में आई दूसरी लहर ने प्रतिबंधों में ढील की कोई गुंजाइश नहीं छोड़ी। इन प्रतिबंधों का असर हर किसी पर पड़ा और सामान्य जीवन में इसके कई तरह के असर देखने को मिले। ऐसा ही असर अब विक्टोरिया में रह रहे अभिभावक अपने बच्चों में देख रहे हैं जिनके बच्चे पिछले 6 महीनों से स्कूल नहीं गए हैं। अभिभावक अपने बच्चों के मानसिक स्वस्थ को लेकर अब परेशान भी हैं।


9 साल के आरव को जितना मज़ा पढ़ाई में आता था उतना ही आनंद खेलने और अपने दोस्तों के साथ वक़्त बिताने में आता था।

कोरोना के चलते जब विक्टोरिया में स्कूल बंद हुए तो आरव को लगा था की शायद यह एक ऐसा कदम है जो सिर्फ एहतियात के तौर पर लिया जा रहा है और स्तिथि के नियंत्रण में आते ही स्कूल जल्दी खुल जाएंगे। 

 


मुख्य बातें:

  • कोरोना के चलते महीनों से नहीं गए हैं बच्चे स्कूल
  • बच्चों पर पड़ रहा है लॉकडाउन का बुरा प्रभाव
  • अभिभावक बच्चों के मानसिक स्वास्थ को लेकर हैं परेशान

दिन से हफ्ते और अब हफ़्तों से महीने हो गए हैं लेकिन आरव अभी भी इंतज़ार में है की वो कब वापस स्कूल जा कर अपने दोस्तों से मिल पाएगा। 

आरव के पिता हिमांशु बताते हैं, " जब से स्कूल बंद हुए हैं हमने आरव में बहुत बदलाव देखे हैं। वह बहुत उदास रहता है और बार-बार हमसे पूछता है की मैं कब वापस स्कूल जाऊँगा, अभी वह काफी तनाव में दिखता है "

विक्टोरिया में चल रहे प्रतिबंधों में स्कूल बंद कर देना एक बड़ा फैसला था।

स्कूल बंद होते ही बच्चों की कक्षाएँ कुछ समय बाद ऑनलाइन कर दी गईं, जिसकी वजह से अब अभिभावकों को बच्चों के साथ ऑनलाइन रहना पड़ता है।

यह नया बदलाव न सिर्फ बच्चों के लिए मुश्किल भरा है बल्कि अभिभावक भी इस परिवर्तन से दिक्कत महसूस कर रहे हैं।

"तीन से चार हफ्ते तो सिर्फ रिमोट लर्निंग को समझने में ही लग गए। ऐसा नहीं है की नई तकनीक को समझने में कोई तकलीफ़ है लेकिन फिर भी आरव को ऑनलाइन पढ़ने में कई मुश्किलें आ रही हैं " , हिमांशु कहते हैं।
Aarav wants to go to school
Aarav is missing his friends Source: Sbs Hindi
हिमांशु और उनकी पत्नी दोनों अत्यावश्यक सेवाओं के लिए काम करते हैं ऐसे में उन्हें सरकार की तरफ से रियायत थी की वह आरव को स्कूल भेज सकते हैं।

लेकिन कोरोना के डर से उन्होंने ऐसा नहीं किया और आरव को घर से ऑनलाइन पढ़ाना ही सही समझा।

हालाँकि यह फैसला लेना हिमांशु के लिए आसान नहीं था क्योंकि आरव की ऑनलाइन पढ़ाई के लिए उनकी पत्नी को अपनी जॉब छोड़नी पड़ी।
हिमांशु बताते हैं, "आरव की पढ़ाई के लिए ज़रूरी था की हम दोनों में से कोई एक आरव के साथ घर पर रहे ऐसे में मेरी पत्नी को अपनी जॉब छोड़नी पड़ी। पहले हमें लगा की यह दिक्कत कुछ दिनों की ही होगी लेकिन अब इतना वक़्त गुज़र गया है, अभी हमें आर्थिक तौर पर भी परेशानी हो रही है "
हिमांशु मानते हैं की बच्चों पर लॉकडाउन का बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।  कोरोना की वजह से लगे हुए प्रतिबंध पूरी तरह से कब समाप्त होंगे यह कहना तो अभी मुश्किल है लेकिन विक्टोरिया में सोमवार से स्कूल खुल गयें हैं।

ऑस्ट्रेलिया में लोगों को दूसरों से कम से कम 1.5 मीटर की दूरी बनाए रखनी चाहिए. लोगों के जमा होने की संख्या की सीमा जानने के लिए अपने क्षेत्र में लगे प्रतिबंधों को देखें.  

यदि आप सर्दी या बुखार के लक्षण महसूस कर रहे हैं, तो घर पर रहें और अपने डॉक्टर को कॉल करके परीक्षण की व्यवस्था करें. ये 1800 020 080 पर कोरोनावायरस हेल्थ इंफॉर्मेशन हॉटलाइन से संपर्क करें.  

कोरोना वायरस से संबंधित समाचार और सूचनाएं 63 भाषाओं में https://sbs.com.au/coronavirus पर उपलब्ध हैं.  

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