बनारस का नया रूप देख हैरान रह गए NRI

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वैसे तो कुम्भ प्रयागराज में हो रहा हैं लेकिन वाराणसी में गंगा किनारे भी एक अलग किस्म का कुम्भ का आयोजन किया गया है. करीब 132 देशों के 2800 भारतवंशी एक बार फिर अपनी मातृभूमि से रिश्ते की डोर मज़बूत करने आये हैं.


वाराणसी में अब तक के सबसे बड़े स्तर का प्रवासी भारतीय दिवस यानी एनआरआई डे का आयोजन हो रहा हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और कई मंत्री और हजारो की संख्या में प्रवासी इसमें शामिल हैं. ये एनआरआई डे अलग है. लगभग 42 हेक्टेयर के एरिया में एक टेंट सिटी बसा दिया गया है. वैसे ही जैसे प्रयागराज में कुम्भ के अवसर पर बनाया गया है. टेंट सिटी के अलावा लगभग 319 प्रवासी भारतीय वाराणसी के स्थानीय लोगों के घरों में ठहरेंगे.

वाराणसी के बाबतपुर एअरपोर्ट पर पिछले कई दिन से अजब नज़ारा है. विमान से उतारते ही विदेशी मेहमान हाथ जोड़ कर और घुटने मोड़ कर अपने देश की माटी को चुमते हुए दिखे. दुबई, मलेशिया, सूरीनाम, कज़ाकिस्तान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया समेत दर्जनों देशों से लोग अपनी धरती आये हैं.
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एअरपोर्ट से टेंट सिटी, होटल और वाराणसी के बदले स्वरुप को देखकर सब प्रवासी भारतीय अचंभित रह गए. बहुतों ने बाबा विश्वनाथ के मंदिर में दर्शन किये, गंगा के किनारे गए. बदलते स्वरुप में एक आधुनिक शहर दिखा तो प्राचीन गलियां भी नज़र आईं. मुख्य कार्यक्रम स्थल ट्रेड फैसिलिटी सेंटर के प्रवेशद्वार को मंदिर और घाटों की कलाकृतियों से सजाया गया है.

अपने देश को कोई कैसे भूल सकता है. ऐसे ही ऑस्ट्रेलिया के रहने वाले डॉ. आशुतोष मिश्र भी इस एनआरआई डे में भाग लेने आये हैं. वो वाराणसी में पले बढ़े और आज प्रवासी भारतीय का दर्जा लेकर वापस आये. डॉ आशुतोष इस समय भारत और ऑस्ट्रेलिया के रिश्तों को और मज़बूत करने पर काम कर रहे हैं.
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जब दिल में अपना देश धड़कता हो तो ज़ाहिर सी बात है कि इसके लिए कुछ करने की ललक हमेशा रहती है. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज भी 2022 तक भारत को नया भारत बनाने में प्रवासी भारतीयों से सहयोग की अपील की. ये एनआरआई डे भारतवंशियों के लिए गुरु दक्षिणा देने का सुनहरा मौका ले कर आया है. इसी कड़ी में डॉ. आशुतोष ने भी भारत और ऑस्ट्रेलिया में आपसी सहयोग बढाने के लिए एक विस्तृत रोड मैप तैयार किया है.

एनआरआई डे का आयोजन अब छह दिन के लिए कर दिया गया है. तीन दिन बनारस के बाद सभी एक दिन प्रयागराज कुम्भ जायेंगे फिर एक दिन दिल्ली दर्शन और फिर भारत की रिपब्लिक डे परेड देखेंगे. शहनाई से स्वागत, चूड़ा-मटर का स्वाद, अरसे बाद अपनों से मिलने की ख़ुशी, आपस में भारतवंशियों का मिलन मंच और अपने देश के लिए कुछ करने की ललक और तमाम यादें ये एनआरआई डे सबको दे गया.


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