सैकड़ों स्टूडेंट्स और पुलिसवाले. कोई इधर भाग रहा है, कोई उधर. कोई पकड़ने की कोशिश में है तो कोई पीछा कर रहा है. एक साथ ऐसा नजारा अक्सर विरोध प्रदर्शनों के दौरान नजर आता है. लेकिन कूजी बीच पर ऐसा ही नजारा था फुटबॉल के इर्दगिर्द.
न्यू साउथ वेल्स पुलिस और इंटरनेशनल स्टूडेंट्स के बीच सालाना सॉकर टूर्नामेंट का आयोजन अपने पांचवें साल में पहुंच गया है. इस बार 200 खिलाड़ियों ने सिडनी के कूजी बीच पर इस आयोजन में हिस्सा लिया. मल्टिकल्चरल इवेंट्स को बढ़ावा देने के लिए
काम करने वाले स्टडी न्यू साउथ वेल्स के डायरेक्टर क्रिस मैके कहते हैं कि लोगों को जोड़ने में खेल से बेहतर कुछ नहीं है. वह कहते हैं, "हम किस्मत वाले हैं कि न्यू साउथ वेल्स की पुलिस इतनी सक्रिय है. मुझे लगता है कि खेल ऐसी चीज है जो सबको
समझ आती है. और जैसा कि लेस मर्रे ने कहा होता, फुटबॉल तो दुनिया का खेल है."
न्यू साउथ वेल्स के इंस्पेक्टर ग्लिन बेकर कहते हैं कि खेल का मुख्य मकसद था एक दूसरे पर भरोसा जताना और वो कामयाब रहा. बेकर बताते हैं, "उन्हें पता होना चाहिए कि वे वर्दी वालों पर भरोसा कर सकते हैं. इसका मकसद है रुकावटों को तोड़ना."
यहां ऐसे देशों के स्टूडेंट्स भी थे जहां पुलिस वाले खौफ का परिचायक होते हैं जैसे नाईजीरिया, तंजानिया और सऊदी अरब. कुछ स्टूडेंट्स ने बताया कि उन्होंने अपने मुल्क में ऐसा कुछ भी नहीं देखा. एक खिलाड़ी ने कहा, "मैं झूठ नहीं बोलूंगा, मेरी टीम बहुत
अच्छी नहीं है लेकिन मजा बहुत आ रहा है."
2009 में भारतीय स्टूडेंट्स पर ऑस्ट्रेलिया में कई जगहों पर नस्ली हमले हुए थे. उस घटना के आठ साल बाद हालात कितने बदल चुके हैं, पूर्व इंटरनैशनल स्टूडेंट गुरनाम सिंह बताते हैं. सिडनी में मल्टिकल्चरलिजम के लिए काम करने वाले गुरनाम कहते हैं
कि ऐसे आयोजनों ने रिश्तों को बेहतर बनाया है. उन्होंने कहा, "जागरूकता बहुत जरूरी है. एक दूसरे के बारे में जानना. जैसे कि मैं पगड़ी पहनता हूं तो इसका मेरे लिए क्या महत्व है."
और जब एक साथ एक मकसद के लिए भागते अलग-अलग रंग, नस्ल और देशों के लोग दिखते हैं तो समुदाय का जुड़ाव और गहरा होता जाता है.
