'अब यह शुरू हो गया': सीनेट के मत के साथ ही अगले छह माह में घटित होगा 'वॉइस' जनमत

वॉइस जनमत विधेयक के पारित होने का अर्थ है कि सोमवार की तारीख़ से दो से छह माह के बीच इस जनमत का पूर्ण होना अनिवार्य है।

Two women embrace each other in parliament house.

The legislation on the Indigenous Voice referendum question has passed federal parliament, a development that moves the nation closer to a referendum date being determined. Source: AAP / Lukas Coch

मुख्य बिंदु:
  • 17 मिलियन से अधिक ऑस्ट्रेलियाई लोगों ने साल के अंत में होने वाले वॉइस जनमत के लिए पंजीकरण कराया है।
  • वॉइस जनमत विधेयक के पारित होने के साथ ही इसके घटित होने की तिथि तय होने की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है।
  • यह तिथि बीते सोमवार से दो महीने से लेकर छह महीने के मध्य कभी भी हो सकती है।
'वॉइस' जनमत के विधेयक के सीनेट में 52 से 19 के अनुपात में पारित होने के बाद अब ऑस्ट्रेलियाई जनता वॉइस टू पार्लियामेंट पर आधिकारिक रूप से अगले छह माह में मतदान करेगी।

संसद में बीते सोमवार इस जनमत की राह के आखिरी रोड़े को आधिकारिक तौर पर पार कर लिया गया। अब यह ऑस्ट्रेलियाई जनता तय करेगी कि 2017 के उलुरु ह्रदय से वक्तव्य के एक मुख्य स्तंभ, 'वॉइस', को संविधान में जगह मिलेगी या नहीं।

इस जनमत की पैरवी करने वाले अधिवेत्ताओं ने घोषणा कर दी है कि "संसद का काम पूरा हुआ"। अब यह बहस ज़मीनी स्तर पर संवैधानिक बदलाव की दिशा में आगे बढ़ेगी।
इंडिजेनस ऑस्ट्रेलियाइयों की मंत्री लिंडा बर्नी का कहना है कि इस नए विकसन के साथ ऑस्ट्रेलिया इंडिजेनस जनसंख्या के अधिकारों को संविधान में पहचानने के 'एक कदम नज़दीक' पहुंच चुका है। उनका कहना है यह कदम "एक महान देश को और भी महान" बना देगा।

"आज से यह शुरू हो गया है... आज राजनैतिक बहस का अंत हो गया है। आज से हम देश में सामुदायिक स्तर पर चर्चा शुरू कर रहे हैं," उन्होंने कहा।

"एक लंबे अरसे तक, इंडिजेनस ऑस्ट्रेलियाई दूसरी ऑस्ट्रेलियाई जनसंख्या के मुकाबले एक कमतर जीवन जीती रही है... यह एक टूटी हुई व्यवस्था है। और वॉइस इसे सही करने के लिए सबसे बेहतरीन मौका है। जब हम लोगों की बात ज़मीनी स्तर पर सुनते हैं और स्थानीय लोगों से विमर्श करते हैं तब हम बेहतर निर्णय लेते हैं और अधिक सटीक नतीजों पर पहुंचते हैं।"

लेबर इस बात पर सतत बना हुआ है कि 'वॉइस' एक पूर्णतः सलाहकार समिति होगी जो इंडिजेनस ऑस्ट्रेलियाई जनसंख्या को सरकार और संसद पर उन विषयों पर सलाह देने का मौका देगी, जो सीधे उनके समुदाय से संबंधित हैं।

पर कुछ आलोचकों का कहना है कि इस प्रस्ताव में कई जोखिम हैं, वहीं दूसरे कुछ का मानना है कि 'वॉइस' के ज़रिये इंडिजेनस समुदायों को अपर्याप्त अधिकार मिलते हैं।

लगभग पच्चीस साल में होने वाले इस पहले जनमत की तिथि बीते सोमवार से दो से छह महीने के बीच कभी तय होगी। हालांकि प्रधानमंत्री एंथनी अल्बनीज़ी का कहना है कि जनमत इस ही साल होगा।

"यह हमारे लिए जीवन में एक बार आने वाला वो मौका है जो हमारे महान देश को नयी ऊंचाइयों पर ले जाएगा," उन्होंने घोषणा करते हुए कहा।
A woman raises her fist as she walks in the parliament.
Independent Senator Lidia Thorpe reacts after the passing of the Voice to Parliament in the Senate chamber at Parliament House. Source: AAP / Lukas Coch
"सच तो यह है कि आज इस बहस को देखने वाले अधिकांश लोगों पर इस समिति का कोई सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा। पर यह समिति आज के ऑस्ट्रेलिया के सबसे वंचित समुदायों के जीवन को कुछ बेहतर बना सकेगी। अगर हम जैसे ही निर्णय लेते रहेंगे, तो हमें एक जैसे ही नतीजे भी मिलते रहेंगे।

यह एक मौका है चीज़ों को बेहतर करने का, बल्कि इंडिजेनस ऑस्ट्रेलियाइयों के लिए कुछ करने का, उनके साथ लाने का।"

गठबंधन ने दिखाई जनमत विधेयक को हरी झंडी

वॉइस का विरोध करने के बावजूद, सोमवार की सुबह गठबंधन ने इस विधेयक को हरी झंडी दिखा दी।

लिबरल की फ्रंटबेंचेर माइकेला कैश का तर्क था कि 'हां' में मत देना ऑस्ट्रेलिया के संविधान को "हमेशा के लिए" बदल देगा। उनका दावा है कि लेबर सरकार इस "विभाजित" करने वाली समिति के कार्यवाहन की पर्याप्त जानकारी देने में असक्षम रही है।
"[लेकिन] हमें इस देश के नागरिकों पर भरोसा है, और उनके अधिकार पर भी जो वे इस मामले में बोलने के लिए रखते हैं," उन्होंने कहा।

"यह अज्ञात है, विभाजीय है, और स्थायी है। अगर आप यह नहीं कि 'वॉइस' काम कैसे करेगी, तो मेरी राय में तो मत एक ही है: न।"

गठबंधन की इंडिजेनस ऑस्ट्रेलियाई प्रवक्ता वर्लपिरि/सेल्टिक महिला जैसिंटा प्राइस का कहना था कि जनमत के बाद संसद पर उसकी बारीकियों का बोझ डालना कानूनी बवंडर मोल लेने बराबर है।

"प्रधानमंत्री चाहते हैं कि हम उन पर अंधा विश्वास कर के एक ब्लैंक चेक पर हस्ताक्षर कर दें और उनके जोखिम भरे प्रस्ताव को सदैव के लिए संविधान में जगह दे दें, और यह तब जब वह किसी भी चीज़ का आश्वासन नहीं दे सकते," उन्होंने कहा।

कुछ गठबंधन सदस्यों ने विधेयक के विरुद्ध मत दिया। ऐसा करने से अब वे जनमत के सार्वजानिक किये जाने वाले जानकारी पर्चों पर 'न' में मतदान करने के पक्ष में अपने तर्क प्रस्तुत कर सकेंगे।

ग्रीन्स ने किया 'ऐतिहासिक दिन' का स्वागत

ग्रीन्स की इंडिजेनस ऑस्ट्रेलियाई प्रवक्ता डोरिंडा कॉक्स ने अपनी 'ट्रीटी' और 'ट्रुथ' की मांग पर समझौता कर लिया था। उनकी मांग थी कि ये 'वॉइस' से पहले लागू हों। उनका कहना था कि यह 'वास्तव में एक ऐतिहासिक दिन' था।

"संसद का काम अब पूरा हुआ। अब यह ज़मीनी स्तर पर जनमत के पक्ष में अभियान चलाने का समय है। यह समय है समुदाय में जानकारी का कि क्यों यह जनमत महत्वपूर्ण है, और क्यों 'वॉइस टू पार्लियामेंट'ज़रूरी है।
Penny Wong stands in Senate in front of a woman and two men sitting down
Ms Burney, seated left, was present for the debate. Source: AAP / Lukas Coch
"यह ज़रूरी बदलावों की शुरुआत भर है। हमें प्रथम राष्ट्र के लोगों के अधिकार एक बार फिर स्थापित कार्नर होंगे। हमको ट्रुथ और ट्रीटी की तरफ भी ठोस कदम उठाने होंगे, होंगे।"

जब सीनेटर कॉक्स ज़ोर देकर यह कह रहीं थीं कि 'वॉइस' किसी तरह से भी इंडिजेनस सम्प्रभुत्व को कमज़ोर नहीं करेगा, तब स्वतंत्र सीनेटर लीडिया थोर्प उन्हें बार-बार अवरुद्ध कर रहीं थीं। सीनेटर थोर्प ने ग्रीन्स पार्टी इसलिए छोड़ी थी कि वे 'वॉइस' पर स्वतंत्र रूप से अभियान कर सकें।

"साबित करें!" सीनेटर थोर्प बार-बार दोहराती रहीं।

लीडिया थोर्प ने 'नकली और ढोंग भरे' वॉइस जनमत की आलोचना की

सीनेटर थोर्प एक जाबवुर्रंग, गुनाई और गुंडीमारा महिला हैं। उन्होंने सोमवार को 'असिमिलेशन डे' अर्थात आत्मसात्करण दिवस का नाम देते हुए देशवासियों से आग्रह किया कि वे इस जनमत का बहिष्कार करें।

सदन में अपना पक्ष रखते हुए सीनेटर थोर्प ने इस कानून को "ताबूत में आखिरी कील" बताया, और यह उजागर किया कि वे खुद इस जनमत में किस पक्ष में हैं।

"मैं इस सर्वनाशी प्रस्ताव के विरोध में मत दूंगी जो हमें कोई ताकत नहीं देता," उन्होंने कहा।

"मैं ऐसी किसी चीज़ का समर्थन नहीं कर सकती जो मेरे लोगों को कोई अधिकार नहीं देती हो। मैं ऐसे किसी का समर्थन नहीं कर सकती जिसे सत्ताधारी खुद चुन कर ला रहे हों।"
Woman poses with group of people in 'yes' t-shirts.
Minister for Indigenous Australians Linda Burney poses for a photo with 40 members of Jawun at Parliament House in Canberra. Source: AAP / Mick Tsikas
"प्रथम राष्ट्र व्यक्तोयों के संप्रभुत्व को पहचान देना हमारी मौजूदा हिंसक, औपनिवेशिक व्यवस्था को भंग करेगा, वह जिसमें हम सब अभी रह रहे हैं," उन्होंने कहा।

"हां, मैं यहां श्वेत वर्चस्व के उस पिंजरे को झकझोरने के लिए, उसमें सेंध लगाने के लिए, उसे ध्वस्त करने के लिए यहां हूं, जिसका प्रतिनिधित्व इस जगह पर किया जाता है।"

सीनेटर थोर्प संसद की इस बहस में 'गैमिन' शब्द लिखी हुई टी-शर्ट पहन कर सम्मिलित हुईं। उनकी मांग थी कि संसद हिरासत में हुई एबोरिजिनल मृत्यु पर बैठी रॉयल कमीशन के सुझावों को लागू करे।
Lidia Thorpe sitting in the Senate. She is wearing a grey t-shirt with the word 'Gammin' written in white
Independent senator Lidia Thorpe reacts during debate on the Voice to Parliament in the Senate chamber at Parliament House. Source: AAP / Lukas Coch
"गैमिन, जैसा कि हम सब जानते हैं ढोंग और नकली को कहा जाता है," उन्होंने कहा।

उन्होंने आगे कहा, "हम सब वे भावुक कहानियां सुन रहे हैं कि कैसे यह जनमत हम सबके जीवन में सब ठीक कर देगा। यह सारी परेशानियों का हल बनेगा। हम इस जनमत के पूरा होने तक कुछ नहीं कर सकते हैं। और इस बीच, जेलों में हमारे बच्चों अत्याचार हो रहा है।"

सोमवार की बहस में लेबर की फ्रंटबेंचर मलार्नडिरी मेकार्थी ने ऑस्ट्रेलियाई जनता से आग्रह किया कि वे एक बेहतर भविष्य के लिए इस जनमत का समर्थन करे। उन्होंने कहा कि यह समर्थन प्रथम राष्ट्र लोगों के लिए बहुत ज़रूरी है।

"[प्रथम राष्ट्र के लोग] सभी ऑस्ट्रेलियाइयों से आग्रह कर रहे हैं, कि इस देश के इतिहास पर गर्व महसूस करें, जहां हम एक दुसरे को नयी ऊंचाइयां छूने में सहायक बनें," उन्होंने कहा।

"एक ऐसी जगह जहाँ प्रथम राष्ट्र के लोग मुख्यधारा का पूरी-पूरी तरह हिस्सा महसूस कर सकें।"

पौलीन हैन्सन के बयान के बाद बहस के लहजे पर उठे सवाल

वन नेशन सांसद पौलीन हैन्सन ने ऑस्ट्रेलियाइयों से आग्रह किया कि वे सवाल उठाएं कि आखिर 'स्टोलेन जनरेशंस' हुआ ही क्यों था। इसपर सांसद मैकार्थी ने आने वाले महीनों में बहस के लहजे पर अपनी चिंताएं व्यक्त कीं।

उन्होंने देशवासियों को 'अपने बेहतर आप' की सुनने के लिए प्रेरित किया।

"जब मैं बहस के दौरान चल रही कुछ टिप्पणियों को सुनती हों, तो थोड़ी चिंतित हो जाती हूं," उन्होंने कहा।
Red-headed woman in jacket speaks.
Senator McCarthy conceded concern over the tenor of the debate, just moments after Pauline Hanson's (pictured) comments. Source: AAP / Lukas Coch
“मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूं कि वे अपने भीतर झांकें, अपने बेहतर आप की सुनें और इस पूरी बहस को सम्मानपूर्ण रखें।

“ऐसा करने पर ही हम एक देश के अपना एक बेहतर स्वरूप पा सकेंगे।”

सांसद हैन्सन ने पूर्व में यह दावा किया था कि 'स्टोलेन जेनेरशंस' के कई लोग "बच ही नहीं पाते" अगर उन्हें उनके घरों से दूर न किया गया होता।

“आप 'स्टोलेन जेनेरशंस' की बात करते हैं। हां, वो उस समय हुआ था। पूछिए अपने आप से क्यों हुआ था," उन्होंने कहा।

1997 की व्यापक 'ब्रिंगिंग देम होम' रिपोर्ट में सामने आया था कि इंडिजेनस बच्चों को उनके घर से ले जाया जाना मानवाधिकार का सर्वथा उल्लंघन था। इन बच्चों के उत्तरजीवियों के जेल जाने की, स्वास्थ्य समस्याएं झेलने की और बेरोज़गार होने की पायी गयीं थीं।

श्री अल्बनीज़ी का कहना था कि उन्होंने सुश्री हैन्सन की टिप्पणियों को देखा तो नहीं हैं लेकिन, वे यह मानते हैं कि यह टिप्पणियां पूर्व में उनकी कही बातों से मेल खाती हैं।

“मैं इन टिप्पणियों का जवाब नहीं देना चाहता, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि इन पर एक प्रधान मंत्री को जवाब देना चाहिए। मैं केवल सभी से सम्मानपूर्वक बहस का आग्रह करूंगा,” उन्होंने कहा।

“चाहे कोई किसी भी पक्ष में मतदान कर रहा हो, अधिवेत्ताओं को चाहिए कि वे तथ्य आधारित बात करें, और ऐसी बातें न करें जो मिथ्या हों।"

लिंडा बर्नी का कहना है कि 'वॉइस' से आएंगे व्यवस्थागत बदलाव

जनमत पारित होने के लिए 'दोहरी बहुमत' आवश्यकता होती है। यानी एक राष्ट्रीय स्तर की बहुमत और एक हर प्रदेश के स्तर पर बहुमत। प्रदेशीय बहुमत में नॉर्दर्न टेरिटरी और ऑस्ट्रेलियन कैपिटल टेरिटरी नहीं गिने जाते।

स्वतंत्र सांसद डेविड पोकॉक का कहना था कि इन दोनों राज्यों के पास समान अधिकार नहीं हैं।

सीनेटर पोकॉक ने गठबंधन के इस जनमत को 'कैनबेरा वॉइस' कहने को "साफ़ झूठ" बताया।

"यह [जनमत] ऑस्ट्रेलिया के इतिहास में सबसे अधिक परामर्शक प्रक्रिया का नतीजा है... यह ठीक है कि अगर कुछ बिगड़ा सुधारिये मत... पर अगर कुछ बिगड़ा है तो उसको सुधारा जाना ही चाहिए। यह एक मौका है सुधार लाने का," उन्होंने कहा।

इंडिजेनस नेताओं ने 2017 में उलुरु हृदय से वक्तव्य के माध्यम से 'वॉइस टू पार्लियामेंट' का आग्रह किया था।

इस साल के अंत में ऑस्ट्रेलियाई जनता से जनमत में 'हां' या 'न' के माध्यम से यह निर्णय लेने को कहा जायेगा कि वे संविधान में एक स्थायी इंडिजेनस सलाहकार समिति बनाना चाहती है संसद और सरकार को सभी प्रथम राष्ट्र मुद्दों देगी।

अगर यह जनमत सफल होता है तो संसद में इस सलाहकार समिति की रूपरेखा और मॉडल तैयार किये जायेंगे।

सुश्री बर्नी का कहना है कि यह उनका विश्वास है कि यह प्रस्ताव एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों के खराब स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक मुश्किलों, अपेक्षित आयु परिणाम जैसे मामलों के लिए एक नयी आशा बनकर आएगा।
क्लोज़िंग द गैप लक्ष्यों पर पिछले हफ्ते आये नए आंकड़े दिखाते हैं कि 19 में से केवल चार ही लक्ष्य पर हैं। क्लोज़िंग द गैप लक्ष्य प्रथम राष्ट्र और गैर प्रथम राष्ट्र जनता के बीच के सामाजिक फ़र्क को इंगित करते हैं।

"यह एक व्यवस्थागत बदलाव लाएगा, और सामाजिक दूरी को काम करने के चक्र को चलाएगा," उन्होंने कहा।

"इसकी सारी ताकत सैद्धांतिक है - इस प्रस्ताव के पास अपनी एक मौलिक सत्ता है। और यह केवल [फ़ेडरल] सरकार को ही नहीं, संसद को भी स्वतंत्र सलाह दे सकेगी।

"इसकी जवाबदारी तय होगी। यह संतुलित होगी, समुदाय द्वारा चलित होगी और उन व्यवस्थागत ढांचों में काम करेगी जो पहले से अस्तित्व में हैं।"

'नौकरशाही को बाहर करो'

नेशनल पार्टी के लिटिलप्राउड ने पिछले वर्ष नवंबर में घोषणा की थी कि उनकी पार्टी इस जनमत के विरुद्ध प्रचार करेगी। उस समय उनका कहना था कि वे नहीं मानते कि यह प्रस्ताव "सचमुच सामाजिक दूरी कम" कर सकता है।

उनका कहना है कि वे अब भी अपने विश्वास पर अडिग हैं और मानते हैं कि इसके उपाय के लिए संवैधानिक परिवर्तन करना आवश्यक नहीं है।
"सरकारों ने [सामाजिक दूरी को कम करने की] समस्या पर बिलियनों डॉलर खर्चा कर दिए है, लेकिन हमने अब तक इसे गलत तरीके से किया है," उन्होंने एबीसी रेडियो से कहा।

"समानता का इरादा हमेशा से रहा है, लेकिन बात लागू करने पर आती है ,"उन्होंने आगे कहा। उन्होंने यह भी माना कि 12 साल तक सत्तारूढ़ गठबंधन का हिस्सा रही उनकी पार्टी भी इस समस्या का हिस्सा रही है।

"हम विफल रहे। मैं यह कहने से कि हर सरकार इस कार्य में विफल रही है। अगर आप नौकरशाही को इससे बाहर कर सकते हैं, तब ही आप सही मायने में सामाजिक दूरी को कम कर सकते हैं।"

उनका कहना था कि उपाय सामुदायिक स्तर पर मिलेगा, जिसके लिए वॉइस टू पार्लियामेंट की आवश्यकता नहीं है।

"यहां आवश्यकता क्षेत्रीय नहीं वरन स्थानीय स्तर पर बुज़ुर्गों को सम्मिलित करने की है... उन्हें सशक्त बनाने की है... ज़रूरत है कि राजनायिक कैनबेरा से निकलें और कैंप फायरों और टाउन हॉलों में बुज़ुर्गों को सुनने पहुंचें।"

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Published

By Finn McHugh, Biwa Kwan
Presented by Vrishali Jain
Source: SBS

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