एसबीएस हिंदी पर प्रकाशित एक लेख “Fake ‘Indian doctors’ in Australia: a brief history” पढ़ने के बाद साउथ ऑस्ट्रेलिया स्थित ट्रेसी हर्रिस ने अमित सारवाल से संपर्क किया.
ट्रेसी ने बतया की इस लेख में जिस एक नीम हाकिम या फ़र्ज़ी डॉक्टर का जिक्र है वह उनके परदादा हैं.
मुहम्मद फ़ायदुलदीन लिकर भारत के Punjab से १८७३ में ऑस्ट्रेलिया आये.
यहाँ आकर कई अन्य कामों के अलावा उन्होंने १२ वर्षों तक Adelaide के आस-पास के इलाकों में फ़र्ज़ी डॉक्टर का कार्य भी किया.
ट्रेसी के अनुसार शोध दर्शाता है की हालाँकि मुहम्मद ने भारत में शायद हाकिम का काम अपने पिताजी से सीखा था परन्तु ऑस्ट्रेलिया में मेडिकल एक्ट के आने के बाद से केवल वह लोग डॉक्टरी कर सकते थे जिनके पास डिग्री हो.
एक फ़र्ज़ी डॉक्टर की तरह कार्य करने के चलते कई बार मुहम्मद को जेल या भारी जुर्माना भी हुआ.
मुहम्मद ने १९०३ में मैरी ऐन सेल्लिक से विवाह किया और कुछ वर्षों बाद दोनों का ललक भी हो गया.
ट्रेसी की दादी - फ्रें - ने अपने पूरे जीवन कभी मुहम्मद का जिक्र नहीं किया और अपने पिता की सभी तस्वीरें भी जला दी.
ट्रेसी बताती हैं की १९४१ में मुहम्मद का ८० वर्ष की आयु में देहांत हो गया और अपने पिता - रॉय - के बाद अब वह स्वयं शोध कर अपने परिवार के इतिहास और मुहम्मद के बारे में जानकारी जुटा जा रहीं हैं.
आइये जानिये ट्रेसी हर्रिस की अपने परदादा मुहम्मद लिकर और अपने परिवार के इतिहास को जानने के लिये चल रही इस रोमांचक खोज के बारे में उनकी अमित सारवाल के साथ इस ख़ास बातचीत में.