ऑस्ट्रेलिया में रह रहे रिफ्यूजी बच्चों के लिये चल रहे जब चाहे आओ और खेलो फुटबॉल कार्यक्रम की वजह से अब पुराने घाव तो भर ही रहे हैं और साथ ही भविष्य के लिये एक नयी आशा की किरण भी जाग रही है.
गत सप्ताह, पश्चिमी सिडनी में आयोजित एक भव्य रंगा-रंग कार्यक्रम में फुटबॉल यूनाइटेड ने ऑस्ट्रेलिया में रह रहे सुविधाहीन समुदायों के लोगों के बीच पिछले एक दशक में किये गए अपने काम का उत्सव मनाया.
फेयरफील्ड हाई स्कूल के ९वी कक्षा के बच्चे तैयार हैं इस विश्व प्रसिद्ध खेल में भाग लेने के लिये.
यह बच्चे १५ स्कूलों से आये लगभग २०० बच्चों में से हैं जिन्होंने यूनाइटेड फुटबाल द्वारा आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में भाग लिया.
पर फुटबॉल शुरू करने से पहले इन्होंने दिखाया माओरी योद्धाओं द्वारा प्रचलित हाका - एक प्रकार का युद्ध नृत्य.
नए चमचमाते जूते और कोहनी और घुटनो पर चोट न लगे इसके लिये पहने बचाव पैड में यह बच्चे बच्चे कवच धारी फुटबॉल योद्धा की भांति प्रतीत हो रहे थे.
इन बच्चों को सामोआ के रहने वाले फुटबॉल यूनाइटेड के एक स्वयंसेवक ने हाका के एक रूप से अवगत कटरा लोगों के सामने पेश करने में सहायता की.
यहाँ कार्यरत स्वयसेवक बताते हैं की फुटबॉल यूनाइटेड प्रतीक है संस्कृति की सीमाओं को तोड़कर एक होने का.
फुटबॉल यूनाइटेड, हिस्सा है विश्वभर में फैले एक ऐसे गैर-सरकारी संघटन का जो फुटबॉल का सहारा ले समाज में बदलाव लाने की कोशिश कर रहें हैं.
और इस रंगा रंग कार्यक्रम में भाग ले रहे कई बच्चे तो विश्व के उन देशों या क्षेत्रों से आते हैं जो आज भी अशांत हैं.
"I was born in Uganda" / "Iraq." / "From Palestine." / "I'm from Afghanistan."
बस यह समझ लीजिये की जिन देशों के अभी नाम लिये गए वह तो बस नाम-मात्र ही है.
इनमें से कुछ बच्चे तो सीरिया, सूडान , म्यांमार और ऐसे कई अन्य स्थानों पर भी पैदा हुए हैं, जहाँ आज भी शान्ति का नामोनिशाननहीं है.
हालाँकि, इन देशों या क्षेत्रों से आने वाले बच्चों को वहां की संस्कृति पर गर्व है पर इस कार्यक्रम के अन्तर्गत वह सब भुला कर बस खेलना, नए दोस्त बनाना, और कुछ सीखना चाहते हैं.
"Come out, meet new people."
"I like playing in a team, like team work."
"We meet people from different countries and different cultures."
"Football brought the happiness out of us."
गिनी से आये Al Hassan Dauda ने फुटबॉल यूनाइटेड के कार्यक्रम में १२ वर्ष की आयु से भाग लेना शुरू किया.
तब वह अपने क्षेत्र में प्रचलित की भाषाएँ बोल लेते थे पर अंग्रेजी में हाथ बेहद तंग था
"I could speak French and I could speak other languages other than English. So the language was a big issue at the beginning. The only way you could get to people, the only way you could communicate is through a common language."
पर इस एक भाषा के न होने की कमी को पूरा किया फुटबॉल के खेल की विश्व भर में प्रसिद्ध बोली ने.
"Noor is going to go in goals. Treen you're going in the middle...."
यहाँ पर आये कई बच्चे तो अभी भी नए देश और एक नयी संस्कृति में सामंजस्य स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं.
Al Hassan Dauda जो की सिडनी विश्वविद्यालय में स्वास्थ्य विज्ञान की पढाई कर रहें हैं, फुटबॉल यूनाइटेड के कार्यक्रम में भाग ले रहे बच्चों के लिये अनुकरणीय तो हैं ही - पर साथ ही वह इन बच्चों के मन में क्या गुजर रही है उस बात को भी भलाई भाँती समझते हैं
"Because some of them are trying to link between two identities, sort of like an identity crisis. And some feel left out and others are just trying to fit in."
आज से ठीक दस वर्ष पहले Dr Anne Bunde-Birouste ने फुटबॉल यूनाइटेड कार्यक्रम की नींव रखने में मदद की थी.
वह बताती हैं की तब से लेकर अब तक ६००० से भी ज्यादा बच्चों ने इन कार्यक्रमों में भाग ले फुटबॉल की भाषा बोलना सीखा है.
"One of the things I would love is people who are decision makers, come and do what you're doing and spend a day with us and get to know these kids. And they're wonderful. The more we can offer them and the more we can engage with them, the better off we're all going to be."
Dr Anne Bunde-Birouste के अनुसार फुटबॉल यूनाइटेड का एक बड़ा लक्ष्य FIFA Football for Hope उत्सव को ऑस्ट्रेलिया में मनाना है - ताकि आज के विजेता कल के अधिनायक बन सकें.
"Maybe some of your listeners will want to help us do it."