वैज्ञानिक और पर्यावरणविद या विषय पर कड़े कदम उठाए जाने की वकालत कर रहें हैं क्यूंकि इस प्रदुषण से यहाँ के समुंद्री जीवन को बहुत हानि हो रही है.
अब तक केवल 900 कंपनियों ने ही Australian Packaging Covenant पर हस्ताक्षर कियें हैं जो की एक स्वैच्छिक अनुबंध. पर अब लोगों का मानना है की इसे सभी उत्पादकों पर बाध्यकर कर दिया जाना चाहिए.
फ़ेडरल सरकार के कास्मेटिक और लांड्री के प्रोडक्ट्स में इस्तेमाल होने वाले माइक्रो बीड्स पर प्रतिबन्ध लगाने के प्रस्ताव के बाद, ऑस्ट्रेलिया के मुख्या रिटेलर्स ने अपने इस प्रोडक्ट्स में से माइक्रो-बीड्स को धीरे धीरे हटाने की प्रतिबद्धता दर्शाई है.
वैज्ञानिकों का कहना है की समुन्द्र में बहा दिए जाने वाले प्लास्टिक की मात्रा को आने वाले पांच वर्षों में आधा करना संभव है.
परन्तु Greens के Senator Peter Whish Wilson मानते हैं की इस लक्ष्य को पाने के लिये प्रभावकारी नीतियों से हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है - "In 2009 Marine plastics were officially recognised as a threat to threatened species under the EPPC act, and a threat-abatement plan was supposed to be put in place. But in the five years since, we've reviewed that and not only have we made no impact on the abatement, it's actually got worse."
Melbourne स्तिथ भारतीय मूल के कॉन्सिल्लोर और विंढम के एक्टिंग मेयर गौतम गुप्ता के अनुसार इस प्रदुषण को हम सब मिलकर कम कर सक्ते बस जरूरत है एक प्रयास की!