मैं बीमार हूं, वापस परिवार के पास जाना चाहता हूं, लेकिन..

Rohit Kukreti an Indian student from Melbourne

Source: Supplied / Rohit Kukreti

मुसीबत की इस घड़ी में अन्तर्राष्ट्रीय छात्र दोहरी मुश्किल में हैं. उन्हें स्वास्थ्य की चिंता तो है ही लेकिन उनके पास उनका अपना कोई नहीं जिससे कि उन्हें मानसिक सहायता मिल सके.


ये कहानी है रोहित कुकरेती की जो कि ऑस्ट्रेलिया में एक अन्तर्राष्ट्रीय छात्र के तौर पर रह रहे हैं. उनकी एमबीए की पढ़ाई पूरी हो चुकी है और वो इस वक्त पोस्ट स्टडी वीज़ा पर हैं.

सब कुछ अच्छा चल रहा था. काफी उम्मीदें थीं, सपने थे. ज़ाहिर तौर पर धीरे-धीरे वो पूरे भी हो रहे थे. लेकिन दुनिया भर में फैले कोविड-19 के कहर ने इन सुहाने सपनों को बेहद कठिन परेशानियों में बदल दिया.  


रोहित पिछले डेढ़ साल से संयुक्त राष्ट्र की एक शरणार्थियों से जुड़ी संस्था के लिए अस्थायी तौर पर काम कर रहे थे. लेकिन कोविड-19 के क़हर ने उनसे ये नौकरी भी छीन ली. अब रोहित अपने नज़दीकी जानकारों के साथ रहने पर मजबूर हैं.

रोहित बीमार हैं, वो भारत जाना चाहते हैं


रोहित की परेशानियों की सीमा यहीं तक होती तो बेहतर होता.

लेकिन कहते हैं कि कभी कभी दुख घेर लेता है.

अपने स्वास्थ्य को लेकर भी रोहित पिछले कई दिनों से परेशान हैं. 

दरअस्ल रोहित के यूरिन में खून पाया गया था.

रोहित बताते हैं कि डॉक्टरों से बातचीत ने उन्हें गहरी चिंता में डाल दिया.

उन्हें कहा गया कि ये गंभीर से लेकर सामान्य बीमारी तक कुछ भी हो सकती हैं.

हालांकि अब पता चला है कि रोहित को किडनी स्टोन की शिकायत है. 

लेकिन रोहित के लिए चिंता बीमारी को लेकर ही नहीं है. उन्हें इसके इलाज पर होने वाले खर्च की भी चिंता है.

और फिर उनके सामने बड़ी चुनौती ये भी है कि उनका परिवार भारत में है यहां उनकी तीमारदारी कौन करेगा और कब तक. 

वो कहते हैं, मेरे पास न यहां पैसे हैं और ना ही कोई देखभाल करने वाला. मेरा परिवार, मेरा बच्चा सभी भारत में है. लेकिन दूतावास द्वारा मुझे कहा गया है कि अभी हालात ठीक नहीं हैं."


भारत और ऑस्ट्रेलिया में यात्रा प्रतिबंधों के चलते रोहित असहाय हैं.

ऐसे वक्त में जबकि उन्हें उनके परिवार की सबसे ज्यादा ज़रूरत है वो भारत उनके पास नहीं जा सकते. हालांकि रोहित को एक उम्मीद की किरण दिखाई दी है. 

पॉडकास्ट सुनें:

कोविड 19 स्टूडेंट हेल्प लाइन के ज़रिए एक कोशिश

दरअस्ल समुदाय को मदद करने के मक़सद से मैलबर्न की रजिस्टर्ड इमिग्रेशन एजेंट चमनप्रीत ने सोशल मीडिया साइट फेसबुक पेज बनाया है जिसका नाम उन्होंने कोविड 19 स्टूडेंट हेल्पलाइन दिया है.

चमन मानती हैं कि छात्रों को बाकी परेशानियों के साथ मानसिक तनाव भी है क्योंकि वो इस वक्त घर परिवार से दूर हैं. 

इस पेज पर एक पोल के ज़रिए चमन पूछ रही हैं कि आखिर कितने छात्र भारत वापस जाना चाहते हैं या फिर ऑस्ट्रेलिया में ही रहना चाहते हैं.

चमन बताती हैं कि आंकड़े चौंकाने वाले हैं.

वो कहती हैं, "हालांकि ये आंकड़ा अभी काफी छोटा है लेकिन करीब 75 फीसदी छात्र वापस भारत जाना चाहते हैं."


रोहित भी इन छात्रों में से एक हैं. 

वो कहते हैं कि वो इस पोल से जुड़ने के लिए बाकी छात्रों से संपर्क कर रहे हैं.   


हालांकि चमन किसी तरह का दावा नहीं कर रही हैं, लेकिन वो कहती हैं कि एक बार एक सही आंकड़ा हासिल करने के बाद भारत सरकार या ऑस्ट्रेलिया सरकार से उचित माध्यमों द्वारा इन छात्रों को मदद करने की मांग की जा सकती है. 


Tune into SBS Hindi at 5 pm every day and follow us on Facebook and Twitter

ऑस्ट्रेलिया में लोगो को एक-दूसरे से कम से कम 1.5 मीटर का फासला रखने की सलाह दी जा रही है. साथ ही केवल दो लोगों को ही एक साथ रहने की इजाज़त है बशर्ते कि वो अपने परिवार या घर वालों के साथ नहीं है. 

अगर आपको लगता है कि आप वायरस के संपर्क में आए हैं तो अपने डॉक्टर को कॉल करें, लेकिन उनके पास जाएं नहीं. या फिर राष्ट्रीय कोरोना वायरस स्वास्थ्य सूचना हॉटलाइन को 1800 020 080 पर संपर्क करें. 

अगर आपको सांस लेने में परेशानी हो रही है या आप कोई स्वास्थ्य संबंधी परेशानी महसूस कर रहे हैं तो 000 पर कॉल करें. 


Share
Download our apps
SBS Audio
SBS On Demand

Listen to our podcasts
Independent news and stories connecting you to life in Australia and Hindi-speaking Australians.
Ease into the English language and Australian culture. We make learning English convenient, fun and practical.
Get the latest with our exclusive in-language podcasts on your favourite podcast apps.

Watch on SBS
SBS Hindi News

SBS Hindi News

Watch it onDemand