पर्थ और गोल्ड कोस्ट के रीजनल एरिया बनने के फायदे

Perth, Gold Coast dump 'major cities' tag to attract more regional migrants, international students

Perth, Gold Coast dump 'major cities' tag to attract more regional migrants, international students Source: AAP, SBS

किसी शहर के रीजनल एरिया में गिने जाने का क्या फायदा है? वेस्टर्न ऑस्ट्रेलिया की राजधानी पर्थ और क्वीन्सलैंड का बड़ा शहर गोल्ड कोस्ट अब रीजनल एरिया माने जाएंगे.


अब तक सिडनी, मेलबर्न, ब्रिसबेन, पर्थ और गोल्ड कोस्ट को रीजनल ऑस्ट्रेलिया से बाहर रखा गया था. लेकिन बीते हफ्ते सरकार ने ऐलान किया कि रीजनल ऑस्ट्रेलिया परिभाषा बदल दी गई है जिसके तहत अब पर्थ और गोल्ड कोस्ट रीजनल ऑस्ट्रेलिया का हिस्सा होंगे.

इसका अर्थ है कि 16 नवंबर से लागू होने वाले दो नए रीजनल वीसा के तहत लोग पर्थ और गोल्ड कोस्ट भी जा सकेंगे. रीजनल वीसा के लिए सरकार कई अतिरिक्त सुविधाएं देती है.
ब्रिसबेन स्थित माइग्रेशन एक्सपर्ट सुमन दुआ बताती हैं, "इसका अर्थ है कि वहां जो लोग पढ़ाई कर रहे हैं या काम कर रहे हैं उनके लिए कई फायदे होंगे. एक तो वे रीजनल ऑक्युपेशन लिस्ट में उपलब्ध पेशों के लिए भी अप्लाई कर पाएंगे. रीजनल एयिराज में कुछ अतिरिक्त ऑक्युपेशन होती हैं जो शहरों में उपलब्ध नहीं हैं. 25 हजार वीसा रीजनल ऑक्युपेशन लिस्ट के आधार पर भरे जाएंगे जो एक फायदेमंद स्थिति है."
जो स्टूडेंट्स यहां पढ़ रहे हैं या पढ़ेंगे, उन्हें रीजनल स्टडी के 5 पॉइंट्स मिलेंगे. साथ ही जो पढ़ाई के बाद काम करने के लिए मिलने वाले पोस्ट स्टडी वीसा में भी एक अतिरिक्त साल मिलेगा.
ऑस्ट्रेलिया की सरकार आप्रवासियों को रीजनल एरिया में जाने के लिए प्रोत्साहित कर रही है ताकि सिडनी, मेलबर्न और ब्रिसबेन जैसे बड़े शहरों पर दबाव घटे. इमिग्रेशन मंत्री डेविड कोलमन कहते हैं कि ऑस्ट्रेलिया की आबादी में 70 फीसदी वृद्धि सिडनी, मेलबर्न ब्रिसबेन में ही हुई है.
सरकार का मानना है कि लोगों को अतिरिक्त सुविधाएं देकर रीजनल इलाकों में जाने के लिए प्रेरित किया जा सकता है. जैसे कि रीजनल इलाकों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों को कई सुविधाएं मिलती हैं जिनका लाभ अब पर्थ और गोल्ड कोस्ट के संस्थानों में पढ़ रहे विद्यार्थी भी उठा सकेंगे.

सुमन दुआ बताती हैं, "जो स्टूडेंट्स यहां पढ़ रहे हैं या पढ़ेंगे, उन्हें रीजनल स्टडी के 5 पॉइंट्स मिलेंगे. साथ ही जो पढ़ाई के बाद काम करने के लिए मिलने वाले पोस्ट स्टडी वीसा में भी एक अतिरिक्त साल मिलेगा. यानी पर्थ या गोल्ड कोस्ट से बैचलर्स या मास्टर्स करने के बाद दो के बजाय तीन साल के फुल टाइम वर्क राइट्स होंगे. तो उन्हें अपनी पीआर की ऐप्लिकेशन को व्यवस्थित करने के लिए ज्यादा टाइम मिल जाएगा."

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