SBS Examines: अल्फ्रेड और क्लिंटन की दोस्ती प्रवासी समुदायों को रिकन्सिलीएशन के बारे में सिखा सकती है

Reconciliation Week is a time for non-Indigenous people to listen and learn about Aboriginal and Torres Strait Islander peoples, communities and cultures.

Reconciliation Week is a time for non-Indigenous people to listen and learn about Aboriginal and Torres Strait Islander peoples, communities and cultures. Source: Getty / Jenny Evans

अल्फ्रेड इंडोनेशिया से आये प्रवासी है, और क्लिंटन पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया के एक आदिवासी व्यक्ति हैं। इस दोस्ती से, अल्फ्रेड ने प्रवासी ऑस्ट्रेलियाई के रूप में अपनी पहचान को समझने के तरीके को बदल दिया।


2017 में, वाजुक, बालादुंग, किजा और यूलपरतीजु व्यक्ति क्लिंटन प्रायर आदिवासी समुदायों के बंद होने और उनमें व्याप्त गरीबी के विरोध में ऑस्ट्रेलिया भर में पैदल यात्रा कर रहे थे।

27 वर्षीय व्यक्ति ने एक साल में पर्थ से कैनबरा तक 6,000 किलोमीटर की दूरी पैदल तय की। यात्रा के दौरान, उन्हें एक वीडियो पत्रकार, अल्फ्रेड पेक से फेसबुक पर एक संदेश मिला।

क्लिंटन ने एसबीएस एक्जामिन्स को बताया, "वह इसे दस्तावेज करके प्रवासी समुदाय में और अधिक साझा करना चाहते थे। लेकिन वह खुद भी इस को जानना चाहते थे।"

"मानव स्वभाव ऐसा ही है, जैसे आप किसी चीज़ या किसी व्यक्ति को कुछ करते हुए देखते हैं, लेकिन आपको अभी तक यह नहीं पता होता कि उनसे कैसे संपर्क करें और वास्तव में पहला कदम कैसे उठाएं। और यही उन्होंने किया।"

अल्फ्रेड अपनी किशोरावस्था में इंडोनेशिया से ऑस्ट्रेलिया आ गए थे। उन्होंने कहा कि क्लिंटन की यह यात्रा उनके लिए एक "महत्वपूर्ण" क्षण था।

"मुझे नहीं पता था कि एक अप्रवासी के रूप में, आप ऑस्ट्रेलिया की भूमि के अधिग्रहण के भी लाभार्थी हैं। जब मैं ऑस्ट्रेलियन बना, तो मुझे यह नहीं सिखाया गया कि ऑस्ट्रेलियाई होने का क्या मतलब है। जब तक मैंने क्लिंटन प्रायर के साथ काम करना शुरू नहीं किया, तब तक मुझे वास्तव में समझ में नहीं आया कि चुनौतियाँ क्या थीं, और यह मेरे लिए एक महत्वपूर्ण क्षण था," उन्होंने कहा।

उनकी दोस्ती सुलह या मेलमिलाप की भावना में बनी थी, एक आंदोलन जो 1996 में पहले सुलह यानि रिकन्सिलीएशन सप्ताह के साथ शुरू हुआ था।

"रीकंसीलिएशन का मूल वास्तव में सहयोगी है," नेशनल सेंटर फॉर रिकन्सिलीएशन, ट्रुथ एंड जस्टिस के सहायक वरिष्ठ शोध साथी शंकर केसीनाथन ने कहा।

"हम इस ऑस्ट्रेलियाई कहानी का हिस्सा बन जाते हैं, जो अपने साथ ज़िम्मेदारी लेकर आती है... यह इस बारे में है कि हम आगे बढ़ते हुए कैसे रिश्ते बनाते हैं।"

श्रीलंका के गृहयुद्ध से भागकर आए तमिल व्यक्ति शंकर बहुसांस्कृतिक समुदायों के साथ उनके मेल-मिलाप पर काम करते हैं।

"कई प्रवासी और शरणार्थी समुदाय इस भूमि विभाजन या बेदखली को समझते हैं। हम जबरन विस्थापन को समझते हैं, हम सांस्कृतिक विलोपन को समझते हैं," उन्होंने कहा।

"लेकिन हम हमेशा अपनी कहानियों और अपने प्रवासी समुदाय के इतिहास और अब हमारे प्रथम राष्ट्र के लोगों की कहानियों के बीच वह संबंध नहीं बना पाते हैं। मुझे लगता है कि एक बार जब वह संबंध बन जाता है, तो यह निरंतर पारस्परिक समर्थन और सहयोगीता के लिए एक शक्तिशाली आधार बन जाता है जो मुझे लगता है कि वास्तविक मित्रता का मूल है।"
एसबीएस एक्जामिन्स का यह एपिसोड राष्ट्रीय सुलह सप्ताह ( National Reconciliation Week) को चिह्नित करता है, और ऑस्ट्रेलिया की सुलह यात्रा में प्रवासी समुदायों की भूमिका को देखता है।

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