ऑस्ट्रेलिया में एबोरिजिनल भूमि अधिकारों को समझें

WAVE HILL WALK OFF 50TH ANNIVERSARY

Several thousand marchers celebrate the 50th anniversary Wave Hill Walk-off in Kalkarindji on Friday August 19, 2016. On August 22 1966 Vincent Lingiari led several hundred Gurindji people off Wave Hill Station in a protest to gain fair wages, which morphed into the battle for land rights, which took nine years to eventuate. Credit: AAP Image/Neda Vanovac

आपने विरोध प्रदर्शन में यह नारा सुना होगा—“हमें क्या चाहिए? भूमि अधिकार!”—लेकिन इसका असली मतलब क्या है? भूमि एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर पहचान, संस्कृति और कल्याण का मूल है। इसे “कंट्री” कहा जाता है, जिसमें ज़मीन, जलमार्ग, आकाश और सभी जीव शामिल होते हैं। ऑस्ट्रेलिया एक्सप्लेंड के इस अंश में हम स्वदेशी भूमि अधिकारों की पड़ताल कर रहे हैं—ये क्या होते हैं, किन भूमियों को शामिल करते हैं, किसे दावा करने का अधिकार है, और इनका प्रथम समुदायों पर क्या प्रभाव पड़ता है।


मुख्य बिंदु
  • भूमि अधिकारों के तहत क्राउन लैंड (सरकारी स्वामित्व वाली भूमि) के कुछ हिस्से—न कि निजी संपत्ति—एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर समुदायों को लौटाए जाते हैं, ताकि उनका उपयोग सांस्कृतिक, सामाजिक और आर्थिक लाभ के लिए किया जा सके।
  • भूमि अधिकार, नेटिव टाइटल और संधि अलग-अलग कानूनी और राजनीतिक प्रक्रियाएं हैं, लेकिन इन सभी का उद्देश्य प्रथम राष्ट्र लोगों के 'कंट्री' से संबंध को मान्यता देना और आत्मनिर्णय को समर्थन देना है।
  • यह आंदोलन 1966 के वेव हिल वॉक-ऑफ जैसी घटनाओं से शुरू हुआ, जिसने एबोरिजिनल लैंड राइट्स (नॉर्दर्न टेरिटरी) एक्ट 1976 जैसे ऐतिहासिक कानूनों का मार्ग प्रशस्त किया। प्रगति आज भी जारी है।

ऑस्ट्रेलिया में एबोरिजिनल भूमि अधिकार क्या हैं?

कई वर्षों तक, एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों के भूमि से संबंध को मान्यता नहीं मिली। उनकी पारंपरिक ज़मीनों पर कानूनी नियंत्रण देने के लिए ही भूमि अधिकार कानून बनाए गए।

उपनिवेशीकरण से पहले एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोग दसियों हज़ार वर्षों तक भूमि की देखभाल करते आए थे।

लेकिन उपनिवेशीकरण के दौरान 'टेरा नलिस,' यानी “किसी की भी भूमि नहीं,” की ग़लत धारणा पर आधारित होकर यह भूमि बिना किसी समझौते के छीन ली गयी।
Gough Whitlam, Wave Hill Walk Off, Vincent Lingiari
Prime Minister Gough Whitlam symbolically returning land to the Gurindji people on 16 August 1975, an act famously represented by Whitlam pouring sand into Vincent Lingiari's hand. Source: AAP

एबोरिजिनल भूमि अधिकार कैसे शुरू हुए?

आधुनिक भूमि अधिकार आंदोलन 1966 में वेव हिल वॉक-ऑफ से शुरू हुआ—यह नॉर्दर्न टेरिटरी में गुरिंजी पशुपालकों और उनके परिवारों की हड़ताल थी। इस विरोध ने खराब कामकाजी परिस्थितियों और पारंपरिक भूमि की वापसी की मांग, दोनों को उजागर किया।

1967 में एक राष्ट्रीय जनमत संग्रह के बाद ऑस्ट्रेलियाई सरकार को एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों के लिए कानून बनाने की शक्ति मिली। इससे एबोरिजिनल लैंड राइट्स (नॉर्दर्न टेरिटरी) एक्ट 1976 का मार्ग प्रशस्त हुआ। यह पहला कानून था जिसने औपचारिक रूप से पारंपरिक भूमि दावों को मान्यता दी।

कुछ राज्यों और क्षेत्रों के पास अपने भूमि अधिकार संबंधी कानून हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में अब तक कोई एक राष्ट्रीय भूमि अधिकार कानून नहीं है।

एबोरिजिनल भूमि अधिकार किन चीज़ों को शामिल करते हैं?

भूमि अधिकार केवल सरकारी स्वामित्व वाली भूमि, जिसे क्राउन लैंड कहा जाता है, पर लागू होते हैं, निजी संपत्ति पर नहीं। लौटाई गई भूमि को न तो बेचा जा सकता है और न ही गिरवी रखा जा सकता है। इसके बजाय, यह ट्रस्ट में रखी जाती है ताकि प्रथम राष्ट्र समुदाय उसकी देखभाल कर सकें और उससे जुड़े निर्णय ले सकें।

भूमि परिषदों (Land Councils) की स्थापना की गई ताकि वे एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों का प्रतिनिधित्व कर सकें और लौटाई गई भूमि का प्रबंधन करने में मदद कर सकें। ये परिषदें समुदायों को भूमि का उपयोग सांस्कृतिक, सामाजिक, पर्यावरणीय और आर्थिक उद्देश्यों के लिए करने में सहयोग देती हैं।

एबोरिजिनल भूमि अधिकार, नेटिव टाइटल और संधि (ट्रीटी) में क्या अंतर है?

हालांकि अक्सर इनपर साथ में चर्चाकी जाती है, लेकिन इन शब्दों के अर्थ अलग-अलग हैं:

  • भूमि अधिकार (Land rights): सरकारों द्वारा बनाए गए कानून, जिनके तहत क्राउन लैंड के कुछ हिस्से एबोरिजिनल और टोरेस स्ट्रेट आइलैंडर लोगों को लौटाए जाते हैं। आम तौर पर इनका प्रबंधन भूमि परिषदों द्वारा किया जाता है।
  • नेटिव टाइटल (Native title): यह कानूनी मान्यता है कि कुछ प्रथम राष्ट्र लोग अब भी अपने पारंपरिक नियमों और रीति-रिवाजों के आधार पर भूमि और जल पर अधिकार रखते हैं।
  • संधि (Treaty): सरकारों और प्रथम राष्ट्र लोगों के बीच औपचारिक समझौता। न्यूज़ीलैंड और कनाडा जैसे देशों में संधियां हैं, लेकिन ऑस्ट्रेलिया में अभी तक कोई राष्ट्रीय संधि नहीं है।
इन सभी प्रयासों का उद्देश्य प्रथम राष्ट्र लोगों के लिए न्याय, मान्यता और आत्मनिर्णय सुनिश्चित करना है।
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The Wave Hill walk-off, led by Vincent Lingiari, was a pivotal moment in Australian Aboriginal land rights history. In 1966, Gurindji stockmen, domestic workers, and their families walked off Wave Hill Station in protest against poor working conditions and a lack of land rights. Credit: National Museum Australia

एबोरिजिनल भूमि अधिकार आज क्यों महत्वपूर्ण हैं?

भूमि की वापसी समुदायों को उनकी भाषा, संस्कृति और कंट्री से दोबारा जोड़ने में मदद करती है। यह आवास, स्वास्थ्य, शिक्षा और आर्थिक स्वतंत्रता को भी सहारा देती है।

विराजुरी न्येंबा समुदाय की सदस्य और जल अधिकार विशेषज्ञ डॉ. वर्जीनिया मार्शल इस दृष्टिकोण के अंतर को समझाती हैं:

“पानी हमसे बात करता है या पेड़ हमसे बात करते हैं, लेकिन हमें पश्चिमी पर्यावरणीय विचारधारा अपनाने की ज़रूरत नहीं है… हमारा कानून और हमारी सृष्टि की कहानियां हमारी समझ को दिशा देती हैं।”

भूमि अधिकार किसी के घर या सेहन को छीनने के बारे में नहीं हैं। इनका ध्यान उन विशेष क्राउन लैंड क्षेत्रों को लौटाने पर है, जहां मान्यता प्राप्त ऐतिहासिक या सांस्कृतिक संबंध मौजूद है।

स्थानीय उदाहरण: डार्किनजंग एबोरिजिनल लैंड काउंसिल

न्यू साउथ वेल्स एबोरिजिनल लैंड राइट्स एक्ट के तहत बनाई गई डार्किनजंग लोकल एबोरिजिनल लैंड काउंसिल, भूमि अधिकारों को अमल में लाने की संभावनाएं दिखाती है।

गोमेरॉय समुदाय से अंकल बैरी डंकन इसके संस्थापकों में से एक हैं। वे याद करते हैं कि यह 1983 में उनके माता-पिता के घर के पिछले आंगन से शुरू हुआ था:

“इसने समुदाय को एकजुट किया। यह भूमि को दोबारा एबोरिजिनल स्वामित्व में लाने का एक तरीका था।”

बीते सालों में, डार्किनजंग ने आर्थिक अवसरों को बढ़ाने और सामुदायिक निर्णय लेने की क्षमता को मज़बूत करने में मदद की है।

अंकल बैरी कहते हैं: “अब लोग जानते हैं… हम भूमि संपत्तियों के मामले में बहुत बुद्धिमान और समझदार थे।”
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Vincent Lingiari beside a plaque marking the handing over of the lease in Wattie Creek, 1975. Credit: National Museum Australia

एबोरिजिनल भूमि अधिकारों के सामने आगे क्या चुनौतियां हैं?

भूमि अधिकार की प्रक्रिया जटिल और धीमी हो सकती है। केवल सीमित भूमि ही वापसी के लिए उपलब्ध है, और कुछ दावे कानूनी या राजनीतिक अड़चनों का सामना करते हैं।

इन चुनौतियों के बावजूद, भूमि अधिकार ऑस्ट्रेलिया के सुलह, न्याय और प्रथम राष्ट्र की संप्रभुता की मान्यता की दिशा में एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने हुए हैं।

इंडिजेनस भूमि अधिकार सभी ऑस्ट्रेलियाई लोगों के लिए क्यों महत्वपूर्ण हैं?

ऑस्ट्रेलिया में नए आए लोगों के लिए भूमि अधिकारों के बारे में जानना देश के गहरे इतिहास से जुड़ने का एक तरीका है। यह भूमि खोने के बारे में नहीं है—यह दुनिया के सबसे पुराने जीवित संबंधों में से एक, इंसान और भूमि के बीच के रिश्ते को मान्यता देने और पुनर्स्थापित करने के बारे में है।

यह संबंध 60,000 से भी अधिक वर्षों से अस्तित्व में है—और आज भी जारी है।
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क्या आपके पास कोई सवाल या विषय सुझाव है? हमें ईमेल भेजें: australiaexplained@sbs.com.au 

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